Book Title: Jinagam Katha Sangraha
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Kasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad

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Page 235
________________ बाइत्तर - ( वातयितुम् ) घात करने के लिए । [ २२० ] चउक्काणि ( चतुष्काणि ) चौक- वह स्थान, जहां चार रहते मिलते हों । चउद्दस - - देखो टि. ४७ | चउप्पयस्स -- (चतुष्पदस्य) चार पैर वाले प्राणी का | चच्चराणि ( चत्वराणि ) चौंक, चौराहा । चम्मद्दि - ( दे० सम्मर्द [ ? ] ) तूफान (?) । चयउ - ( त्यजतु) त्याग कर दें । चंडिक्किए - (चण्डैककः) प्रचंड | चंपा - एक नगरी दिखो 'भ. म. नी धर्मकथाओ' का कोश ] | चारगसाला ( चा कशाला ) akdrag कारागृह - जेल | चिट्टितन्वं -- ( प्रा० चिह्; सं० स्था - तिष्ट - स्थातव्यम् ) स्थिति करना | चित्तिज्जइ – (चित्र्यते) चित्रित किया जाता है ! Jain Education International चिमडियावंसगो (चिर्भटिकाव्यंसकः ) खीरों-चौडोंके लिये ठगाई करनेवाला । चियन्त्त - (दे० संमत ) संमत । चिरत्थमियंसि - (चिरास्तमिते) सर्वथा अस्त होने पर चिल्लला - (दे० ) एक प्रकार के जंगली जानवर | चिल्ललेसु - (दे० ) कीचडवाळे स्थानों में । चुन्नारुहणं ( चूर्णारोपणम् ) सुगंधित चूर्णो का देव को चढाना । चेइए - ( चत्ये ) चिता पर बनाया गया स्मारक [ देखो 'भ. म. नी धर्मकथाओं' का कोश ] | चेईविसए - ( चेदिविषये ) चेदी देश में । www. चेटुसु - ( चेष्टस्व ) चेष्टा कर । चोक्खवाइणी (चोक्षवादिनी) चोक्ख छूताछूत में आग्रह रखने वाठी | For Private & Personal Use Only - ( चोक्ष ) निर्मल 1 www.jainelibrary.org

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