Book Title: Jinagam Katha Sangraha
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Kasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad

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Page 263
________________ [ २४८ ] इस्ती देखो 'भ. म.नी धर्मकथाओ' का फोश | सेयं -- (श्रेयः) कल्याण । सेयंसि-(स्वेदे) कीचड। सेवाणि -- (शैवानि ) शिव की मूर्ति की। सेहावियं - (सेधापितम् ) नि पादित किया हुआ । गत्या) हाथ में हाथ मिला फर के । हत्थिराया - देखो टि. २२, क. १ 1 हव्व - (दे०) जल्दी । हिओ-(हत्तः) ले लिया। हियाए-देखो टि.१७, क. ११ हिंसितं--(हेषितम् ) घोडे का ) हिनहिनाना। हीरइ - (हियते) ले जाय । हीला - (हेला) तिरस्कार। हेजति -- (हेतवः ) युक्तियाँ। होहिइ-होही-(भविष्यति) होगा। हडिबंधणं- (दे०) हेड में कैद में रखना। हत्ययंसि - (हस्तके) हाथ में। हत्थसंगेलीए ---(दे० हस्तसं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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