Book Title: Jinabhashita 2005 01 Author(s): Ratanchand Jain Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra View full book textPage 4
________________ सम्पादकीय सुनामी लहरें: सहयोग की सुनामी लहरें उठें क्रिसमस और शीतावकाश मनाने पहुँचे सैलानियों को यह कहाँ पता था कि वे जिन द्वीपों और समुद्र बीच पर पहुँचे हैं, वे उनके लिए मौज-मस्ती का सबब नहीं, बल्कि मौत का सामान बनने जा रहे हैं। दि. 26 दिसम्बर को प्रातः 6 बजकर 29 मिनट पर आये भूकम्प के कारण समुद्र में जो तूफान आया और उससे जो 'सुनामी लहरें उठीं उनसे अब तक लगभग तीन लाख लोगों के हताहत होने की खबरें आ चुकी । भारत, श्रीलंका, इण्डोनेशिया, थाईलैण्ड, मलेशिया, म्यांमार, मालदीव और बांगलादेश इनसे सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं । अकेले श्रीलंका और इण्डोनेशिया में दो लाख से अधिक लोग मर चुके हैं। हमारे देश भारत में तमिलनाडु, केरल, अण्डमान-निकोबार द्वीप, पांडिचेरी, आन्ध्रप्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं जहाँ हजारों जानें गयी हैं। हजारों लोग विनाश के मुँह सेतो बच गये हैं लेकिन अब जो जीवन बचा है उसमें धन, वस्त्र, मकान, व्यापार का योग समाप्त हो चुका है, जिन्हें पुनः स्थापित कर पाना सम्पूर्ण देश और सरकार के समक्ष चुनौती है। इस भूकम्प का केन्द्र इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के पास समुद्र में 10 किलोमीटर की गहराई में बताया गया है जिसकी तीव्रता भारत में रिक्टर स्केल पर 8 एवं अमेरिका के अनुसार 8.9 नापी गई है। इण्डोनेशिया के उत्तरवर्ती सुमात्रा के एकेह तट से चला यह तूफान उत्तर में मुड़ा और हिन्द महासागर में अंडमान द्वीप समूह तक पहुँचा। इस भूकम्प से सुनामी लहर पैदा हुई जिसने श्रीलंका, थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया तथा भारत में जो तबाही मचायी, वह वर्णनातीत है। जो जहाँ था वहीं मृतप्राय या मृत पड़ा था। घर टूटकर कहाँ गये, पता ही नहीं चला। हजारों समुद्री नावें बह गयीं । भयंकर जलप्लावन की स्थिति बनी जिसे देखकर कहा जा सकता है कि यह प्राकृतिक विनाश लीला थी जिसने सबकुछ लील लिया। 1964 में अलास्का में आए भूकम्प के बाद का यह सबसे बड़ा भूकम्प था जिसने समुद्र में 20 से 40 फुट ऊँची लहरें उठायीं और मीलों दूर तक जो कुछ था वह समुद्र में समा गया। जो बचा वह या तो मरा था या मरने से भी बड़ी आपदा, व्याधि से ग्रस्त था । प्रसिद्ध भूगर्भविद् डॉ. जनार्दन नेगी के अनुसार 'सुनामी' शब्द मूलतः जापानी है जिसका मूल नाम Tsunami ट्सुनामी है । ट्सु का अर्थ बंदरगाह तथा नामी का अर्थ समुद्र है। सुनामी लहरें Tsunami Waves वास्तव में समुद्र में उठने वाली विध्वंसक ज्वारीय (टाइडल) लहरें होती हैं जिनकी गति 750 कि.मी. प्रतिघंटे तक होती है। ये लहरें समुद्र में 6.5 तीव्रता से अधिक का भूकम्प आने पर ही पैदा होती हैं । समुद्र के किनारों पर पहुँच कर ये 12 से 30 मीटर तक ऊँची हो जाती हैं जिससे समुद्र का स्तर लगभग 3 से 5 मीटर ऊपर हो जाता है जिससे तटवर्ती प्रदेशों में भयंकर विध्वंस की स्थिति बनती है । ज्योतिषविदों के अनुसार पूर्णिमा को समुद्री लहरें बढ़ जाती हैं। पूर्णिमा तिथि के दिन जब चन्द्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है तब समुद्र जल तट पर बीस फुट तक आगे बढ़ जाता है। दि. 26 दिस. 04 को संयोग से पूर्णिमा ही थी जिसने विध्वंस की अमावस्या का रूप धारण कर लिया था । तमिलनाडु के तटवर्ती तीन शहर कुडलूर, नागपट्टिनम् और वेलांगनी लगभग नष्ट हो गये हैं। 60 से अधिक गाँवों का नामोनिशान भी नहीं बचा है। केरल के अलप्पुझा और कोल्लम जिले और आंध्रप्रदेश के काकीनाड़ा और जिले के 300 गाँव, पांडिचेरी का 100 कि.मी. लंबा समुद्री तट, अण्डमान-निकोबार द्वीप बेहद प्रभावित हुए हैं। 8 द्वीपों के सागर में समा जाने और अनेक द्वीपों के जनविहीन हो जाने की खबरें हैं। अण्डमान के एक द्वीप पर एक मानवीय प्रजाति के मात्र 79 लोग बचे हैं जहाँ अभी एक बच्ची ने जन्म लिया है, जिसका नाम 'सुनामी' रखा गया है । यह भविष्य की वह किरण है जो हमें बताती है प्रबल जिजीविषा के आगे प्रबल प्रलय को भी परास्त होना ही पड़ता है। किसी ने ठीक ही कहा है 2 जनवरी 2005 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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