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"महावीर के निमंत्रण को अनुभव करो! उनकी पुकार को सुनो! ऐसे खाली नाम मात्र को जैन हो कर बैठे रहने से कुछ भी न होगा। ऐसी नपुंसक स्थिति से कुछ लाभ नहीं। उठो। अपने को जगाओ। बहुत बड़ी संभावना तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है। खतरा है। इसलिए महावीर कहते हैं : अभय। साहस चाहिए!
"सनो इस निमंत्रण को! करो हिम्मत! चलो थोड़े कदम महावीर के साथ! थोड़े ही कदम चलकर तुम पाओगे कि जीवन की रसधार बहने लगेगी। थोड़े ही कदम चलकर तुम पाओगे, संपदा करीब आने लगेगी। आने लगी शीतल हवाएं-शांति की, मुक्ति की! फिर तुम रुक न पाओगे। फिर तुम्हें कोई भी रोक न सकेगा। थोड़ा लेकिन स्वाद जरूरी है। दो कदम चलो, स्वाद मिल जाए; फिर तुम अपने स्वाद के बल ही चल पड़ोगे।"
__ कहां ले जाना चाहते हैं महावीर हमें? ओशो कहते हैं: "महावीर तम्हें वहां ले जाना चाहते हैं जहां न कोई विचार रह जाता, न कोई भाव रह जाता, न कोई चाह रह जाती, न कोई परमात्मा रह जाता-जहां बस तुम एकांत, अकेले, अपनी परिपूर्ण शुद्धता में बच रहते हो। निर्धूम जलती है तुम्हारी चेतना।
"महावीर ने आत्मा की जैसी महिमा का गुणगान किया है, किसी ने भी नहीं किया। महावीर ने सारे परमात्मा को आत्मा में उंडेल दिया है। महावीर ने मनुष्य को जैसी महिमा दी है, और किसी ने भी नहीं दी। महावीर ने मनुष्य को सर्वोत्तम, सबसे ऊपर रखा है।"
ओशो की यह विशेषता है कि जब वे किसी आध्यात्मिक श्री महेंद्र कुमार 'मानव' हिंदी भाषा के यशस्वी कवि एवं व्यक्ति के बारे में बोलते हैं तब वे शब्द के पार सीधे उस व्यक्ति । लेखक होने के साथ ही साथ संपादक, समाज-सेवी एवं की आत्मा के साथ तादात्म्य स्थापित कर लेते हैं। यह कार्य कोई | स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी हैं। श्री मानव विंध्यप्रदेश के वित्त ऊर्ध्व-चेतना संपन्न व्यक्ति ही कर सकता है। और ओशो एवं समाज सेवा मंत्री तथा म.प्र. विधान सभा के सदस्य रहे हैं। जन्मों-जन्मों की साधना के बाद उस चेतना को उपलब्ध हुए हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में मनुष्य की गंध मुझे आती ओशो ने वह कुंजी प्राप्त कर ली है जिससे महावीर, बुद्ध, कृष्ण, | है' काव्य-संग्रह तथा प. कन्हैयालाल मुंशी की गुजराती ईसा, मोहम्मद, जरथुस्त्र इत्यादि की महाचेतना के ताले खोले जा पुस्तक का हिंदी अनुवाद 'नवलिकाओं' विशेष उल्लेखनीय सकते हैं।
है। संप्रति श्री मानव 'दि पंचायत राज' साप्ताहिक के प्रधान यह हमारे युग का सौभाग्य है कि हमें ओशो का सान्निध्य संपादक हैं तथा इंडो-जर्मन फ्रेंडशिप एसोसिएशन, इंडियन प्राप्त हुआ है।
फेडरेशन आफ स्माल एंड मीडियम न्यूज पेपर्स, स्वामी
प्रणवानंद सरस्वती लिटरेचर ट्रस्ट आफ इंडिया, आल इंडिया महेंद्र कुमार 'मानव' फ्रीडम फाइटर्स आर्गनाइजेशन आदि विभिन्न संस्थाओं के
विशिष्ट पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
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