Book Title: Jina Snatra Vidhi
Author(s): Jivdevsuri, Vadivetalsuri, Lalchandra Pandit
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 186
________________ वर्णक्रमेण सूची। [१२५] ___क्रमांकः १०४ १ १३ १३ ७९ १८ mur ११७ ३७ पद्य-प्रारम्भः एवं स्नात-विलिप्ताएम नूण णवि जाणइ कथय कथं प्रशमनिधेः कल्पलता-कलिका-सुरभीणि किं लोकनाथ ! भवतोकुंकुमहद्यां द्यामिव कुरुतां कल्पमहीरुहकुर्वन्तु तेऽभिषेकं कृतपूजा बलीयांसः कृत्वाऽहंतः स्नात्रविधि कोसंबि-संठियस्स व गगनगामिगणेशविलासिनी[पं.] गीतिरेव गीतिका [पं.] गोग्गटाचार्य-शिष्येण ग्रह-पीडोपशान्तौ तु चेलोत्क्षेपैः पुष्प-धूपादि-दानैः चैत्यालयेन केचित् छत्रं चामरमुज्ज्वलाः जं देवेहिं सुमेरुजण-मणहरो विरायसि जह जह य विज्झविज्जइ जाते जिनाभिषेके जिण-देह-लग्ग-मजण २४ १६ ११५ ११३ १०१ ३५ १८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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