Book Title: Jina Snatra Vidhi
Author(s): Jivdevsuri, Vadivetalsuri, Lalchandra Pandit
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal
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[१२७]
क्रमांकः
पृष्ठे २३
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वर्णक्रमेण सूची। पद्य-प्रारम्भः पयइ-सुद्ध-णिप्पंक-- पल्हत्थिजंत-कलसपसमेउ वो भवंतरपसरंत-चंदणुद्दामपायात् स्निग्धमपीक्षित पावं समप्फुसउ वो पासठ्ठिएहिं सोहसि पुण्यं पवित्रमपबिद्ध-रजो-विकारम् पुनराघोषणा-पूर्व पुनराघोषयेच्छान्ति प्रत्यूह-समूहापोहप्रशस्यमायुष्यमथो यशस्यं प्राक्-पाश्चात्याम्भोधिप्रादिग्वधू-वर ! प्राप्ते पुनीतां प्रविहारयन्त्यौ प्रोद्भूत-भक्ति-भरफरुसेहिं महिज्जन्तस्स बहु मण्णइ ताई परं बहुवर्ण-पिष्ट-यातकबहुविह-कुसुमं सुहाभिरामं भवत: पूर्वावस्थामास्थाय भवति लघोरपि महिमा भवतो भवने बिम्बे
१२१ ७८
०
॥
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