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पद्धति और उपलब्धि - १६७ ऋद्धियां : प्राप्ति और परिणाम
ऋद्धि की उपलब्धि के अनेक साधन हैं-विद्या, मंत्र, तंत्र, तपस्या, भावना और ध्यान । इनकी प्रायोगिक पद्धति प्रायः लुप्त हो चुकी है । फिर भी उसके कुछ बीज आज भी सुरक्षित हैं ।
कुछ प्रमुख ऋद्धियां इस प्रकार हैं१. केवलज्ञान-पूर्ण अतीन्द्रिय ज्ञान | २. अवधिज्ञान-आंशिक अतीन्द्रिय ज्ञान । ३. मनःपर्यवज्ञान-मानसिक अवस्थाओं का ज्ञान । ४. बीजबुद्धि-एक बीज-पद को प्राप्त कर उसके सहारे अनेक पदों
और अर्थों को जानने की क्षमता । ५. कोष्ठबुद्धि-गृहीत पद और अर्थ की ध्रुव-स्मृति । ६. पदानुसारित्व-एक पद के आधार पर पूरे श्लोक या सूत्र को
जानने की क्षमता । ७. संभिन्नस्रोत- (१) किसी भी एक इन्द्रिय के द्वारा सभी इन्द्रियों
के विषयों को जानने की क्षमता । (२) सब अंगों से सुनने की क्षमता । (३) अनेक शब्दों को एक साथ सुनने और
उनका अर्थबोध करने की क्षमता । ८. दूर-आस्वादन-दूर से आस्वाद लेने की क्षमता । ९. दूर-दर्शन-दूरस्थ विषयों को देखने की क्षमता । १०. दूर-स्पर्शन-दूरस्थ विषयों का स्पर्श करने की क्षमता । ११. दूर-घ्राण-दूरस्थ गंध को सूंघने की क्षमता । १२. दूर-श्रवण-दूरस्थ गंध को सुनने की क्षमता | १३. चारण और आकाशगामित्व• जंघा-चारण-सूर्य की रश्मियों का आलंबन ले आकाश में
उड़ने की क्षमता । एक ही उड़ान में लाखों योजन दूर तथा हजारों योजन ऊंचा चला जाना । व्योम-चारण-पद्मासन की मुद्रा में आकाश में उड़ने की क्षमता ।
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