Book Title: Jain Yog
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 241
________________ Jain Education International आचार्य महाप्रज्ञ की प्रमुख कृतियां मन के जीते जीत आभा मण्डल 2. किसने कहा मन चंचल है जैन योग चेतना का ऊर्ध्वारोहण एकला चलो रे • मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि अपने घर में एसो पंच णमोक्कारो मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता समस्या को देखना सीखें नया मानव: नया विश्व भिक्षु विचार दर्शन अर्हम् मैं: मेरा मन : मेरी शान्ति • समय के हस्ताक्षर आमंत्रण आरोग्य को महावीर की साधना का रहस्य घट-घट दीप जले अहिंसा तत्व दर्शन • अहिंसा और शान्ति • कर्मवाद संभव है समाधान मनन और मूल्यांकन जैन दर्शन और अनेकान्त शक्ति की साधना धर्म के सूत्र जैन दर्शन : मनन और मीमांसा आदि-आदि For Private & Personal use Only www.jainerbr

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