Book Title: Jain Yog
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 196
________________ संकल्प शक्ति : अभ्याम-क्रम मन को किसी एक विचार से पुष्ट करें, दृढ़ निश्चय करें । उसे कुछ क्षणों तक ऊंचे स्वर में बोलकर दोहराएं। फिर कुछ क्षणों तक उसे मंद स्वर में दोहराएं। फिर उसे मानसिक रूप में दोहराएं। फिर श्वास- संयम कर उसे दोहराएं । तत्पश्चात् यह भावना करें कि मस्तिष्क के पिछले भाग से रश्मियां निकल रही हैं | वे कार्यक्षेत्र में पहुंचकर अपना कार्य कर रही हैं । संकल्प की पुष्टि के लिए सोने से पूर्व का समय सबसे अच्छा होता है । निद्रा अवस्था में स्थूल मन सुषुप्त और सूक्ष्म मन सक्रिय होता है। जो बात सूक्ष्म मन तक पंहुच जाती है, वह सद्यः क्रियान्वित होती है । संकल्प की सफलता के लिए कायोत्सर्ग (शिथिलीकरण) में अपने संकल्प को दोहराएं। श्वास को लेते समय संकल्प को दोहराएं । श्वास के रेचन-काल में उसे नहीं दोहराना चाहिए । संयम और संकल्प में बहुत निकटता है । संकल्प की सिद्धि के लिए संयम के अनेक प्रयोग किए जा सकते हैं। जैसे १. २. ३. एक घंटा सर्दी सहूंगा, कष्ट से विचलित नहीं होऊंगा । एक घंटा गर्मी सहूंगा, कष्ट से विचलित नहीं होऊंगा । एक घंटा भूख सहूंगा, कष्ट से विचलित नहीं होऊंगा । ४. एक घंटा प्यास सहूंगा, कष्ट से विचलित नहीं होऊंगा । इस प्रकार संकल्प-शक्ति के अनेक प्रकार किए जा सकते हैं । यदि आप आयुर्वेद से परिचित हों तो जानते होंगे कि आठ पुटी अभ्रक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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