Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

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Page 294
________________ 258] [ जैन विद्या और विज्ञान क्रोध की उत्पत्ति के निमित्तों के विषय में वर्तमान मनोविज्ञान की जानकारी जितनी आकर्षक है, उतनी ही ज्ञानवर्धक भी है। कुछ प्रयोगों का विवरण इस प्रकार है - ___ व्यक्ति जो कुछ भी करता है, वह चेतन अथवा अवचेतन मस्तिष्क के निर्देश पर ही होता है। साधारणतः हम जब भी मस्तिष्क की बात करते हैं हमारा तात्पर्य चेतन मस्तिष्क से ही होता हैं, क्रोध, और हिंसा के बीज इस चेतन मस्तिष्क से नीचे कहीं और गहरे हुआ करते है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चेतन मस्तिष्क-सैरेब्रल कोरटेक्स तो मस्तिष्क के सबसे ऊपर की परत है जो मनुष्य के विकास की अभी हाल की घटना है। इसके बहुत नीचे 'आदिम मस्तिष्क' है - हिंसा और क्रोध की जन्मभूमि। वैज्ञानिक प्रयोग वैज्ञानिक डेलगाडो ने परीक्षण में पाया कि सामने एक बड़े से पिंजड़े में एक बंदर बैठा केला खा रहा है और आप बिजली का बटन दबाते हैबंदर केला छोड़ कर पिंजड़े की सलाखों पर झपट पड़ता है। दांत किटकिटा रहा है। हाँ हिंसक हो गया हैं। यह प्रयोग डेलगाडो ने मस्तिष्क के उस विशेष बिन्दु को विद्युत धारा द्वारा उत्तेजित करके किया है। यही क्यों, उनके सांड वाले प्रयोग ने तो कमाल ही कर दिया - क्रोधित सांड उनकी ओर झपटा और उन तक पहुँचने से पहले ही शान्त होकर चला गया। उन्होंने विद्युत से सांड का क्रोध शान्त कर दिया। पर आदमी जानवर से कुछ भिन्न होता हैं। हम तभी हिंसक होते है, जब हम हिंसक होना चाहते है क्योंकि साधारण स्थितियों में ही हम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हैं। पर कुछ लोगों का यह नियंत्रण काफी कमजोर होता है। प्रसिद्ध मनोविज्ञान शास्त्री डा. इर्विन तथा डा. मार्क के अनुसार ऐसे व्यक्तियों के मस्तिष्क के अग्रिम हिस्से में कुछ विशेष घटता रहता है। 7. संकल्प-शक्ति - भावात्मक प्रयोग भावना का प्रयोग और संकल्प-शक्ति के विकास का प्रयोग ये दो हमारी चेतना के रूपान्तरण के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण प्रयोग हैं। आटोजेनिक चिकित्सा पद्धति संकल्प-शक्ति के विकास के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रयोग हैं सुझाव का (Suggestion) या स्वतः सुझाव (Auto Suggestion) का जो बहुत महत्त्वपूर्ण

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