Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

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Page 335
________________ प्रेक्षाध्यान और रोग निदान ] मेडीकल साइंस की भी यही धारणा है कि भोजन सात्त्विक हो तथा मन स्थिर हो तो बहुत सी पेट की बीमारियां जैसे अल्सर व आई.बी.एस. जैसे रोगों से बचा जा सकता है। आचार्य महाप्रज्ञ का मंतव्य भी यही है कि भावक्रिया व कायोत्सर्ग से भाव स्थिर होने से बहुत से पेट के रोगों से बचा जा सकता है। [ 299 मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) ( Depression) आज के भौतिक युग की एक और देन है डिप्रेशन । चिकित्सा शास्त्रियों का मानना कि कुल आबादी का 70 प्रतिशत भाग जीवन कभी न कभी डिप्रेशन का शिकार रहता है। डिप्रेशन के लक्षण हैं मन नहीं लगना, किसी कार्य को करने का उत्साह नहीं होना, बिना कारण क्रोधित होना, नींद नहीं आना या हर समय सोते रहना । कभी-कभी मानसिक रोग बढ़ भी सकता है तथा साइकोसिस हो सकता है, जिससे व्यक्ति क्रुद्ध हो जाता । कई बार डिप्रेशन में व्यक्ति गुमसुम हो जाता है। परिस्थितियों से बेखबर हो जाता है, पुकारने पर ऐसा लगता है जैसे नींद से जगाया है। कारण और निवारण अभी ठीक से डिप्रेशन के कारण का पता नहीं चला है लेकिन जो औषधियां इसके उपचार में काम आती हैं वे सभी मस्तिष्क में डोपामीन की मात्रा बढ़ाती है, सेरोटॉनिन अपटेक को रोकती हैं। अतः कहा जा सकता है कि डोपामीन का स्रावण मस्तिष्क में होना आवश्यक है। देखा गया है कि ये रासायनिक स्राव मस्तिष्क में विद्युत तरंगें पैदा करते हैं यानि रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है क्योंकि इनके स्रावण से कोशिकाओं में सोडियम और पोटेशियम आयन बाहर - अन्दर होते हैं और कोशिकाओं में एक विद्युत् प्रारंभ हो जाती है । ई. सी. टी. या बिजली के शॉट जो कि गंभीर मानसिक रोगियों व पागल व्यक्ति को दिए जाते हैं उसका भी यही सिद्धान्त है कि बाहर विद्युत प्रवाह मस्तिष्क के भीतरी प्रवाह को उतार देता है और व्यक्ति का मानसिक संतुलन वापस आने की संभावना जाती है। दवाइयों के अतिरिक्त आत्म नियंत्रण एक ऐसी विधा है जिससे मनुष्य डिप्रेशन से बाहर आ सकता है। आचार्य महाप्रज्ञ का कहना है कि भगवान महावीर की वाणी है कि अनशन से आत्म नियंत्रण करो । आत्मा के नियंत्रण में भोजन बड़ी बाधा है। ऊर्जा के साथ भोजन आलस्य भी लाता है और आलसी आदमी आत्म नियंत्रण नहीं कर पाता है।

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