Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

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Page 367
________________ आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व ] [329 महाप्रज्ञ - हां! हमने 'अहिंसा-समवाय' मंच का निर्माण किया है। उसका उद्देश्य भी यही है। अहिंसा एवं विश्व शांति के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति एवं संस्थाएं मिलकर इस विषय पर सह चिन्तन करें। सबकी समन्वित शक्ति से इस कार्य को बहुत बल मिलेगा। डॉ. कलाम - हां। महाप्रज्ञ - अभी हम गुजरात में थे। वहां सांप्रदायिक दंगे हुए। हमने हिन्दू और मुसलमान - दोनों समुदाय के प्रमुख व्यक्तियों को याद किया। उनसे वार्तालाप किया। हमने यह समझाया कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। अनेक गोष्ठियां हुई। हमारे चिन्तन का सबने सम्मान किया। शांतिपूर्ण वातावरण का निर्माण हो गया। यदि धार्मिक नेता बदल जाएं तो सांप्रदायिक कट्टरता से उपजने वाली हिंसा समाप्त हो जाए। डॉ. कलाम – (मुस्कुराते हुए) आप उनको 'फ्रंटल लॉब' पर ध्यान करा महाप्रज्ञ - अहिंसा को भी ठीक समझा नहीं गया। आडवाणीजी आए थे। मैंने प्रवचन में कहा - अहिंसा धर्म है एक मुनि के लिए! अहिंसा नीति है समाज के प्रमुख व्यक्तियों और शासकों के लिए। अहिंसा कूटनीति है शासक वर्ग के लिए। जो विभिन्न विचारधाराओं, विभिन्न जातियों और सम्प्रदाय के लोगों में सामंजस्य करता है, वह दीर्घकालीन नीति से सफल हो सकता है। जहां सामंजस्य होता है, वहां सद्भावना का वातावरण बना रहता है। यदि विद्यार्थी में प्रारंभ से ही सामंजस्य , सहिष्णुता, मैत्री, अहिंसा. के संस्कार भरे जाएं तो राष्ट्र की अनेक समस्याएं सुलझ सकती हैं। आपके पास जो शोध छात्र रिसर्च कर रहा है. यदि वह परिवर्तन के इन प्रयोगों का अध्ययन करे तो शोध के कुछ सार्थक परिणाम आ सकते हैं। डॉ. कलाम – मैं उसे निश्चित आपके पास भेजूंगा। महाप्रज्ञ - आपके और हमारे बीच चिन्तन की यह प्रक्रिया चलती रहे, यह आवश्यक है। आप सब जगह नहीं आ सकते, लेकिन आपके प्रतिनिधि संवाद का सेतु बन सकते हैं। डॉ. कलाम – मेरे मित्र वैज्ञानिक डॉ. वाई.एस. राजन आपसे मेरे प्रतिनिधि के रूप में मिलते रहेंगे। महाप्रज्ञ - आपका वैज्ञानिक चिन्तन राष्ट्र के लिए सर्वाधिक कल्याणकारी हो सकता है। सुकरात ने कहा था – एक शासक को दार्शनिक होना चाहिए।

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