Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

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Page 369
________________ आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व ] [331 महाप्रज्ञ - अवश्य हो सकता है। प्रेक्षाध्यान शिविर में ऐसे अनेक लोग आए, जिन्होंने अभ्यास किया और इन पर नियंत्रण स्थापित किया। मुंबई की घटना है। इनके (मुनि महेन्द्रकुमारजी) संसारपक्षीय भाई को भयंकर गुस्सा आता था। पूरा परिवार अशांत हो गया। उन्होंने ध्यान का अभ्यास किया। क्रोध उपशांत हो गया। पत्नी ने देखा – पतिदेव सचमुच बदल गए हैं। उन्होंने अपने ससुर को यह बात बताई। ससुर ने कहा - थोड़े दिन ठहरो। आखिर उन्होंने यह स्वीकार किया कि सचमुच बदलाव आया है। जो प्रत्यक्ष है, उसे कैसे नकारा जा सकता है। (आचार्यश्री ने एक नया प्रस्ताव रखा) आप पांच ऐसे विद्यार्थियों को भेजें, जो बहुत एंग्री हैं। हम उन्हें पांच सप्ताह प्रेक्षाध्यान के प्रयोग कराएंगे। आप स्वयं देखें - उसका क्या परिणाम आता है? डॉ. कलाम – (मुस्कुराते हुए) तब तो मुझे अपने नेताओं को भेजना पड़ेगा। महाप्रज्ञ - यह प्रयोग भी किया जा सकता है। .डॉ. कलाम – मैं बहुत प्रसन्न हूं। मुझे आज नया प्रकाश और नई दृष्टि मिली है। किस प्रकार हम जनता को आध्यात्मिक बना सकते हैं? इस दिशा में कैसे सफल हो सकते हैं? इसका सुन्दर पथदर्शन मिला है। महाप्रज्ञ - चिन्तन का क्रम लंबे समय तक चले तो अनेक समस्याओं के समाधान में सफल हो सकते हैं। _ डॉ. कलाम – मैं एक साल में दो-तीन बार तो आना ही चाहता हूं। अब आपसे निरंतर संपर्क भी रहेगा। आपका मार्गदर्शन न केवल मेरे लिए, पूरे देश के लिए कल्याणकारी है। 000 FOR

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