Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

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Page 352
________________ [ जैन विद्या और विज्ञान हिंसा की रणनीति है । अहिंसा की कोई रणनीति नहीं है। हिंसा का नेटवर्क है । अहिंसा का कोई नेटवर्क नहीं है । हिंसा के प्रशिक्षण की व्यवस्था है। अहिंसा के प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है । 314] राष्ट्रपतिजी का सपना है, हम सबका सपना है एक ऐसे निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए कि हमारी अहिंसा की कोई रणनीति बने, अहिंसा का नेटवर्क बने, अहिंसा का प्रशिक्षण शुरू हो । केवल शब्दोच्चार से लच्छेदार शब्दों के व्याख्यान से कुछ नहीं होगा। इसके लिए प्रशिक्षण की विशाल योजना बनाएं, जिससे विद्यार्थी और युवकों को, पुलिस और सैनिकों को अहिंसा का प्रशिक्षण मिल सके। इसके लिए हमारा प्रयत्न है और विश्वास है कि इसमें हम सफल होंगे। — राष्ट्रपति डॉ. कलाम का वक्तव्य 'आदरणीय आचार्यश्री महाप्रज्ञजी, स्वामीजी, मौलवीजी, फादर - सभी को मेरा सम्मान और नमस्कार मैं आप सब आध्यात्मिक नेताओं और भक्तों के बीच आकर अति प्रसन्न हूं। मैं इसे एक अति महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान मानता हूं कि हम यहां एक आध्यात्मिक समूह की भागीदारी में एक विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने पर चिंतन करने के लिए आज यहां एकत्र हुए हैं। आचार्यश्री के द्वारा आयोजित इस अनुष्ठान को मैं बहुत महत्त्वपूर्ण मानता हूं। यहां आपसे बातचीत करने के लिए मैंने कुछ तैयारी की थी, परंतु आप लोगों को सुनने के पश्चात् मैंने निर्णय लिया कि जो मैं लिखकर लाया था, वह नहीं बोलूंगा । मैंने अब तक बहत्तर बार सूर्य की परिक्रमा की है और 73वीं बार प्रवेश कर रहा हूं। मैंने एक प्रश्न स्वयं से पूछा कि इस बहत्तर वर्ष के जीवन में क्या कभी मैंने सुख का अनुभव किया है? क्या सुख से परे भी कुछ है? यह प्रश्न मुझे झकझोर रहा है। यहां आकर मैंने आपका सूरत आध्यात्मिक उद्घोषणा पत्र पढ़ा। आपने कितने सुंदर ढंग से इस विषय पर शोध किया कि हमारे मन एकात्मकता का भाव कैसे विकसित हो? इस एकात्मकता के भाव को मैं आर्थिक सुदृढ़ीकरण के समकक्ष मानता हूं।एक तरफ आर्थिक वैभव और दूसरी ओर आध्यात्मिक सामंजस्य इन दोनों का संगम हमारे देश को सम्पन्न, विकासमान, शांतिपूर्ण, सुरक्षित एवं आध्यात्मिक बनाने में योगभूत होगा ।

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