Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

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Page 353
________________ आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व ] [315 . मैंने आपके द्वारा सम्मत पंचसूत्रीय 'सूरत आध्यात्मिक उद्घोषणा पत्र • को ध्यान से पढ़ा। निश्चित रूप से समय आ गया है कि हमारे देश के आध्यात्मिक नेता, चिंतक, दार्शनिक और संत देश के रूपान्तरण में अपना योगदान दें। मैंने विभिन्न धार्मिक नेताओं के साथ एक उन्नत एवं विकसित भारत की परिकल्पना पर अपना चिंतन किया। मैंने पांच ऐसे क्षेत्रों की विस्तारपूर्वक चर्चा की, जहां विकास की अपेक्षा है > कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण > शिक्षा एवं स्वास्थ्य . » सूचना एवं प्रसारण तकनीकी > अपेक्षाकृत संसाधन > तकनीकी क्षेत्र में स्वावलंबन गांवों में संपन्नता आए, इसके लिए मैंने गांव के विकास की भी बातचीत की। मैंने इसे 'PURA (PROVIDING URBAN FACILITIES IN RURAL AREAS)' नाम दिया है। गांवों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध हों। यह चार तंत्रों को जोड़ने से संभव होगा - भौतिक, इलेक्ट्रॉनिक, बौद्धिक और आर्थिक विकास। सभी धार्मिक नेताओं ने महसूस किया कि हमारी गौरवपूर्ण विरासत और सभ्यता के आधार पर इसे क्रियान्वित किया जाए, जिसका केन्द्र बिंदु आध्यात्मिक जीवनशैली होना चाहिए। . विरासत में मिली हमारी समृद्ध सभ्यता एवं संस्कृति हमें सदाचार की ओर ले जाती है। मुझे सदाचार पर एक प्यारी कविता याद आती है जहां हृदय में सदाचार है, वहां चरित्र में सौन्दर्य है जहां चरित्र में सौन्दर्य है, वहां घर में सौहार्द है - जहां घर में सौहार्द है, वहां देश में सुदृढ़ व्यवस्था है जहां देश में सुदृढ़ व्यवस्था है, वहां विश्व में शांति है। प्रश्न है - चरित्र का निर्माण कौन करेगा? धर्म, अभिभावक और शिक्षक- ये तीनों नवयुवकों में सदाचार का बीजारोपण कर सकते हैं। अतएव धार्मिक नेताओं की नवयुवकों में एवं समाज के अन्य सदस्यों में सदाचार की प्रवृत्ति स्थापित करने की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। संस्कारी एवं सदाचारसंपन्न प्रवृत्ति के नागरिकों को तैयार करने में एवं देश को 2020 तक पूर्ण रूप से विकसित करने में धर्माचार्य अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमें एक सुन्दर राष्ट्र का निर्माण करना है, जहां हम सद्गुणों की आराधना करें।

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