Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 357
________________ आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व ] [319 हैं और तीस करोड़ लोग शहरों में। देश में छह लाख गांव हैं। छब्बीस करोड़ लोग जो गरीबी की रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करते हैं, उन्हें उस स्थिति से उबारना है। देश की समृद्धि कैसे बढ़े, इस पर चिंतन करना है। हमें एक सावधानी बरतनी है कि आर्थिक समृद्धि प्राप्त हो जाए और नैतिक मूल्यों का विकास उसी अनुपात में न हो तो खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। मैं यहां आप लोगों के बीच में क्यों आया हूँ ? मैं आप सब धार्मिक नेताओं और दार्शनिकों से इस सहयोग की अपेक्षा करता हूं कि आप सब लोग इस राष्ट्र को विकसित करने में अपना योगदान दें। आप हमारे भागीदार हैं। हम सबको मिलकर राष्ट्र की सौ करोड़ जनता का जीवन आनंदमय, संपन्न और सुरक्षित बनाना है। . आनंद कौन प्रदान कर सकता है? जीवन मूल्यों की शिक्षा कौन प्रदान करें ? यूनिटी ऑफ माइंड यानी मानसिक एकात्मकता का वातावरण कौन तैयार करें ? चूंकि आप लोगों के पास ये सब सद्गुण हैं, मेरी आप सबसे प्रार्थना है कि आप इसे प्रदान करें। आज मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि आप - आचार्यश्री, गुरुजन, मौलाना साहबान एवं फादर - सबने मिलकर एक योजना बनाई है। हमारा देश भिन्नताओं में एकता का अनूठा उदाहरण संसार के सामने प्रस्तुत करेगा। - जहां तक दुःख और गरीबी को मिटाने का प्रश्न है - इस देश में सभी धर्म अपनी-अपनी तरह से सहयोग कर रहे हैं। निकट भविष्य में हम इस तरह की योजनाएं क्रियान्वित करेंगे, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, जलापूर्ति, स्वावलंबन और रोजगार के नए नए अवसर हमारे राष्ट्र को उपलब्ध कराए जाएं। जो शिक्षण संस्थान हमारे धार्मिक क्षेत्रों द्वारा संचालित हैं, वे अन्य धर्मों के अनुयायियों को भी अपने संस्थान से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें। ____ मैंने किसी ग्रंथ में पढ़ा कि ईश्वर ने लाखों वर्षों के प्रयास के बाद जगत और मानव जाति का निर्माण किया। विकास में उसने. दैवीय और पाशविक- दोनों प्रकार की प्रवृत्तियों को प्रस्थापित किया। यूनिटी ऑफ माइंड्स' (Unity of minds) का मिशन है कि हमारी दैवीय प्रवृत्तियां पनपें और पाशविक प्रवृत्तियों पर हम विजय प्राप्त करें। उसने हमें चिंतन और विवेक दिया, जिससे हम दोनों प्रवृत्तियो के अंतर को समझ सकें और उसके अनुरूप अपने आचरण का चयन करें। आप महानुभावों के इस प्रयास पर ईश्वर अति प्रसन्न होगा और इस देश की करोड़ों जनता आप सब महापुरुषों की सदैव ऋणी रहेगी।'

Loading...

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372