Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

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Page 347
________________ वक्तव्य 15 फरवरी, 2003 को मुम्बई में 'शिक्षा में नैतिक मूल्य' विषयक सेमिनार के उद्घाटन के अवसर पर दिए गए वक्तव्य राष्ट्रपति डॉ. कलाम का वक्तव्य सेमिनार का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा 'आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सोच के समन्वय से ही अच्छे मनुष्य, बेहतर समाज और विश्वशांति का सृजन हो सकता है।' - डॉ. कलाम ने आचार्यवर के साथ हुई विस्तृत चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा 'जागरूक, नैतिक एवं सुसंस्कृत मानव के निर्माण के लिए मैंने आचार्यजी से मार्गदर्शन प्राप्त किया । आचार्यश्री ने सुझाया कि बौद्धिक और भावात्मक विकास के समन्वय से ही अच्छे मनुष्य का निर्माण हो सकता है। ध्यान इस दिशा की ओर ले जाने वाला एक मार्ग है।' नवदीक्षित मुनियों की मुस्कान की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा'भारत की एक अरब की जनसंख्या में एक तिहाई संख्या बच्चों और किशोरों की है। सुन्दर मस्तिष्क वाले सुन्दर नागरिकों के निर्माण से आने वाले समय में घृणा को दूर किया जा सकेगा ।' M राष्ट्रपति जी ने अनेक बार आचार्यवर के कथन को उद्धृत करते हुए कहा - 'घृणाविहीन, हिंसारहित और शांतिपूर्ण मस्तिष्क के विकास के लिए नए वातावरण का निर्माण जरूरी है। ऐसा वातावरण बनाया जाए, जिससे मैं और इन दोनों वृत्तियों का शमन हो जाए। 'मैं' और 'मेरा' इन दो तत्त्वों ने समस्याओं की सृष्टि की है, युद्ध और अशांति के वातावरण का निर्माण किया है।' राष्ट्रपति ने आचार्यवर के मार्गदर्शन को समग्र विश्व के लिए उपयोगी बताते हुए कहा - 'धर्म और विज्ञान मिलकर आदमी को नई दिशा दे सकेंगे। विज्ञान को अध्यात्म का सहारा चाहिए ।' राष्ट्रपति ने अपने शिक्षागुरु डॉ. विक्रम साराभाई और विशप परेल की घटना का उल्लेख करते हुए कहा 'धर्मगुरु की सहायता नहीं मिलती तो -

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