Book Title: Jain Tirth Parichayika
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 48
________________ बिहार | जैन तीर्थ परिचायिका यात्रीगण पैदल यात्रा करके अपनी यात्रा को सफल मानते हैं। आवागमन हेतु 200-300 रुपये में डोली भी मिलती है। पहाड़ी की ऊँची डगर सघन वनों से गुजरती है। अंतिम 3 कि.मी. की चढाई काफी दुरूह है। पहाड पर 9 कि.मी. की चढाई, सभी मन्दिरों पर परिक्रमा के 9 कि.मी. तथा उतराई 9 कि.मी. इस प्रकार कुल 27 कि.मी. की पैदल यात्रा हो जाती है। कोलकाता से इसकी दूरी 300 कि.मी. है। निमइयाघाट 7, गोमो जं. 18, धनबाद 47 कि.मी. है। हजारीबाग रोड 27, कोडरमा 76 तथा गया 152 कि.मी. दूर हैं। परिचय : वर्तमान चौबीसी के बीस तीर्थंकर इस पावन भूमि में तपश्चर्या करते हुए अनेक मुनियों के साथ मोक्ष सिधारें हैं। पूर्व चौबीसियों के कई तीर्थंकर भी इस पावन भूमि से मोक्ष सिधारे हैं-ऐसी अनश्रति है। पहाड पर 31 ट्रॅक स्थित हैं तथा पहाड की तलहटी मधुबन में आठ श्वेताम्बर मन्दिर, दो दादावाड़ियाँ व एक भोमियाजी महाराज का मन्दिर है। इसके अतिरिक्त 17 जिनालय व पेढ़ियाँ भी हैं। तीर्थरक्षक देव श्री भोमियाजी महाराज के दर्शन तलहटी में करने के साथ यात्रा का शुभारंभ करें। यहां से चलने पर आगे गंधर्व नाला आता है। आगे जाने पर दो मार्ग मिलते हैं, एक से गौतमस्वामी जी के शिखर से जल मंदिर जा सकते हैं, दूसरे मार्ग से डाक बंगला होकर श्री पाश्वनाथ शिखर पर जाया जा सकता है। पहली बार यात्रा करने वाले तीर्थयात्री और सभी शिखर की यात्रा जल मंदिर के मार्ग से शुरु करते हैं। इसके आगे सीता नाला आता है। यहीं से चढ़ाई प्रारंभ हो जाती है। पहला शिखर गणधर श्री गौतमस्वामी का आता है। दूसरा 17वें तीर्थंकर श्री कुन्थुनाथ भगवान का है। तीसरा ऋषभानन, चौथा श्री चन्द्रानन शाश्वत जिन का, पाँचवाँ 21वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान का, छठवाँ 18वें तीर्थंकर श्री अरनाथ, सातवाँ 19वें तीर्थंकर श्री मल्लिनाथ भ., आठवाँ 11वें तीर्थंकर श्री श्रेयांसनाथ भ., नौवाँ-नौवें तीर्थंकर श्री सुविधिनाथ, दसवाँ छठवें तीर्थंकर श्री पद्मप्रभु, ग्यारहवाँ 20वें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतस्वामी और बारहवाँ आठवें तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु का है। यहाँ से चढ़ाई कठिन हो जाती है। तेरहवाँ शिखर श्री आदिनाथ भगवान, चौदहवा श्री अनंतनाथ भगवान, पन्द्रहवाँ दसवें तीर्थंकर श्री शीतलनाथ भगवान, सोलहवाँ तीसरे तीर्थंकर श्री संभवनाथ भगवान, सत्रहवाँ बारहवें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य भगवान का है, जिनका निर्वाण चम्पापुरी में हुआ था। अठारहवाँ शिखर चौथे तीर्थंकर श्री अभिनन्दन स्वामी, उन्नीसवें शिखर पर जल मंदिर विद्यमान है। यहाँ पर श्री शामलिया पार्श्वनाथ विराजमान है। यहां पर धर्मशाला एवं सेवापूजा के लिए स्नान की भी अच्छी व्यवस्था है। बीसवें शिखर पर श्री शुभगणधर स्वामी है, इक्कीसवें शिखर पर पन्द्रहवें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ भगवान की, बाइसवाँ श्री वारिषेण शाश्वत जिन का, तेईसवाँ श्री वर्धमान शाश्वत जिन का, चौबीसवाँ श्री सुमतिनाथ पाँचवें तीर्थंकर का, पच्चीसवाँ सोलहवें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ का. छब्बीसवाँ श्री महावीर स्वामी चौबीसवें तीर्थंकर, जिनका मोक्ष पावापुरी में हुआ है, का है। सत्ताइसवाँ श्री सुपार्श्वनाथ भगवान का, अट्ठाइसवाँ एवं उन्नतीसवाँ शिखर श्री अजितनाथ भगवान का है। तीसवाँ शिखर गिरनार पर मोक्ष प्राप्त करने वाले बाइसवें तीर्थंकर श्री नेमीनाथ भगवान का है। अंतिम इकत्तीसवाँ शिखर तेइसवें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान का है। यह भगवान का समाधि स्थल है। यहां आकर तीर्थयात्रा पूर्ण होती है। पहाड पर से नीचे निहारते हैं तो मधुबन के सारे मन्दिरों की निर्माण शैली व कला अत्यन्त ही मनोरम लगती है। मधुबन के ऊपर पहाड़ मुकुट के आकार का प्रतीत होता है। पहाड़ी परिवेश, सघन वन, नैसर्गिक सौन्दर्य मन को असीम शान्ति प्रदान करता है। 26 bucation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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