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राजस्थान
जैन तीर्थ परिचायिका ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर ठहरने हेतु अत्यन्त सुविधा सम्पन्न कटला परिसर, सन्मति
धर्मशाला, वर्धमान धर्मशाला, यात्रि निवास आदि धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ यात्रियों हेतु क्षेत्र द्वारा भोजनालय की व्यवस्था है। भोजनालय प्रातः 10 से 12 व सायं 4.30 से 5.30 तक खुलता है। यात्रियों के लिए तीर्थ क्षेत्र में सभी आवश्यक सुविधाएं जैसे-जल, बिजली डाक-तार, टेलीफोन, बैंक, औषधालय, डिस्पेंसरी, वाचनालय आदि उपलब्ध हैं। मन्दिर के बाहर अनेकों दुकानें आदि हैं जहाँ आवश्यकता का सामान आदि उपलब्ध हो जाता है।
श्री कैलादेवी
श्री महावीर जी से लगभग 30 कि.मी. दूर करोली तथा करौली से 23 कि.मी. दूर श्री कैलादेवी मन्दिर स्थित है। यहाँ दुर्गा पूजा के समय विशेष भीड़ रहती है। मंदिर के बाहर ठहरने हेतु अनेक धर्मशालाएँ उपलब्ध है। भोजन आदि हेतु मंदिर के निकट ही कैन्टीन की सुविधा है। आगरा-जयपुर आदि निकटवर्ती क्षेत्रों से लोग यहाँ पर आते हैं। हिन्दु समाज
में यहाँ की कैलादेवी की बहुत मान्यता है। मेंहदीपुर बालाजी
जयपुर-आगरा मार्ग पर दौसा से 42 कि.मी. दूर महुआ से 15 कि.मी. पूर्व स्थित मेंहदीपुर बाला जी के दर्शनार्थ यात्रीगण आते रहते हैं। बालाजी की मान्यता भूत-प्रेत, दुष्ट छाया आदि के प्रभाव को दूर करने हेतु बहुत अधिक है।
मार्गदर्शन : लाडनूं सुजानगढ़-डीडवाना रोड पर स्थित सुजानगढ़ से 11 कि.मी. दूर है। यह जिला नागौर
रतनगढ़-डेगाना रेलवे मार्ग पर आता है। सीकर से लक्ष्मनगढ़-सालासर-सुजानगढ़ होते हुए यह 77 कि.मी. दूर पड़ता है। सीकर-जयपुर 115 कि.मी. का राजमार्ग है। जयपुर से लाडनूं लाडनूं
की सीधी बस सेवा है। परिचय : लाडनूं में प्राचीन बड़ा मंदिर अपनी वास्तु कला एवं भव्यता के कारण दर्शनीय है।
नगर परकोटे के बाहर सुखसदन सम्पूर्ण संगमरमर का निर्मित विशाल जिनालय है। रात्रि में कृत्रिम रोशनी में विशेष दर्शनीय है। यहाँ पर जैन विश्वभारती डीम्ड यूनिवर्सिटी दर्शनीय है। जैन विश्वभारती परिसर में आवास-भोजन आदि की सुविधाएँ उपलब्ध है।
मूलनायक : श्री फलवृद्धी पार्श्वनाथ भगवान, श्यामवर्ण ।
श्री फलवृद्धी मार्गदर्शन : मेड़ता शहर से यह स्थान 15 कि.मी. दूरी पर है। जोधपुर, मेड़ता शहर, नागौर से M
पार्श्वनाथ तीर्थ
a s यहाँ आने के लिए बसें मिलती हैं। मेड़ता रोड जंक्शन लगभग 200 मीटर दूर है। मेड़ता शहर से जोधपुर 135 कि.मी., नागौर से 64 कि.मी. दूर है।
पेढ़ी: परिचय : यह एक महान प्रभावी तीर्थस्थान है। श्री जिनप्रभसूरी जी म. की चौदहवीं शताब्दी में श्री फलवृद्धी पार्श्वनाथ
रचित "विविध तीर्थ कल्प" में उल्लिखित है कि "इस तीर्थ के दर्शन से अड़सठ तीर्थों तीर्थ ट्रस्ट के दर्शन का लाभ होता है।" इस कल्प में यह भी बताया है कि यहाँ के गोपालक श्री मु. पो. मेड़ता रोड, धांधल श्रेष्ठी की एक गाय दूध नहीं देती थी। गौ-चरवाहे द्वारा उसकी जाँच करने पर पता जि. नागौर (राजस्थान) लगा कि एक टींबे के पास पेड़ के नीचे गाय के स्तनों से दूध हमेशा झर जाता है। यह बात फोन : 01591-52426, उसने सेठ को बतायी। सेठ को स्वप्न में अधिष्टायक देव ने बताया कि जहाँ दूध झरता है, 76940
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