Book Title: Jain Tirth Parichayika
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 167
________________ जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भ., श्वेतवर्ण, पद्मासनस्थ । मार्गदर्शन : सामी से 25 कि.मी. दूर हारीज से 40 कि.मी. दूर स्थित यह तीर्थ शंखेश्वर गाँव के मध्य स्थित है। पंचासर गाँव यहाँ से 8 कि.मी. है। मेहसाना यहाँ से 94 कि.मी. दूर पड़ता है । तारंगा हिल से 138 कि.मी. पाटण से 67 कि.मी. महुडी से 138 कि.मी. दूर है। परिचय : भारत के महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थानों में इसकी गणना की जाती है। इस तीर्थ का इतिहास श्री नेमिनाथ भगवान के समय का है। यह अत्यंत चमत्कारिक स्थल है। विक्रम संवत् 1158 में महाराजा सिद्धराज जयसिंह के महामंत्री सज्जनशाह ने यहाँ की यात्रा की और इस मंदिर का जीर्णोद्धार कर भव्य मंदिर का निर्माण किया। यहाँ का बावन जिनालय मंदिर भव्य है तथा उसके चारों ओर परकोटा है। यहाँ प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा और पौष वदी दशमी को बड़ा मेला लगता है । इस मंदिर के कुछ दूरी पर भव्य आगम मंदिर का निर्माण हुआ है। जैन धर्मग्रंथों को आगम कहते हैं । इन ग्रंथों की संख्या 45 है । शंखेश्वर आगम मंदिर के नजदीक ही 108 पार्श्वनाथ प्रभु प्रतिमाओं का भव्य जिनमंदिर निर्माण हुआ है। जिसे " भक्तिविहार महाप्रासाद" कहते । यह मंदिर 84 हजार फुट चौरस भूमि पर फैला हुआ है। 108 शिखरयुक्त यह मंदिर बहुत ही सुन्दर है I यहाँ पर पद्मावती शक्तिपीठ आदि अनेक मन्दिर दर्शनीय हैं। ठहरने की व्यवस्था : मंदिर के पास ही धर्मशाला, पेढी और अन्य इमारतें हैं । इसके अलावा यहाँ अन्य छह धर्मशालाएँ हैं। मंदिर के नजदीक ही जैन भोजनालय है, जहाँ पर अल्प मूल्य में अच्छा भोजन मिलता है। श्री १०८ पाश्वनार्थ - भक्तिविहार में ठहरने हेतु अत्याधुनिक सुविधायुक्त कमरों की व्यवस्था है । सुन्दर - सुव्यवस्थित भोजनशाला का भी प्रबन्ध है । मूलनायक : श्री चंद्रप्रभु भगवान, श्वेतवर्ण, पद्मासनस्थ । मार्गदर्शन : यह तीर्थ हारीज गाँव से 8 कि.मी. दूरी पर । सामी से यह 23 कि.मी. दूर स्थित है। शंखेश्वर से इस तीर्थ की दूरी लगभग 20 कि.मी. है। परिचय : यह तीर्थस्थान विक्रम संवत् तेरहवीं शताब्दी से पहले का माना जाता है। श्री वस्तुपाल मंत्री के पुत्र जेत्रसिंह ने अपनी पत्नी जमणदेवी के नाम पर यह नगरी बसायी थी । प्राचीनकाल में इस नगरी का बहुत महत्त्व रहा होगा। प्रभु प्रतिमा की कला अत्यन्त मनोहारी है। मूलनायक : श्री मनमोहन पार्श्वनाथ भगवान, श्वेतवर्ण, पद्मासनस्थ । मार्गदर्शन : इस स्थान पर आने-जाने के लिये चाणश्मा तीर्थ से बस-टैक्सी आदि सुविधा है। यह तीर्थस्थान हारीज- मेहसाणा मार्ग पर स्थित चाणश्मा तीर्थ से लगभग 16 कि.मी. दूरी पर है। नजदीक का रेल्वे स्टेशन कम्बोई 1 कि.मी. दूरी पर है। परिचय : प्राचीन तीर्थक्षेत्र में इसकी गणना की जाती है। प्रभु प्रतिमा शान्त एवं सुन्दर है। इस मंदिर में शीशे का कलापूर्ण काम किया गया है। यहाँ प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ला 2 को मेला लगता है । तब हजारों भक्तगण यहाँ पर आते हैं। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर धर्मशाला तथा भोजनशाला है । भाता की भी व्यवस्था है । Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only गुजरात जिला पाटण श्री शंखेश्वर तीर्थ पेढ़ी : 1. सेठ जीवनदास गोडीदासनी पेढी मु. पो. शंखेश्वर, वाया हारीज, जि. पाटण (गुजरात) फोन : 73324 2. श्री 108 पार्श्वनाथ भक्तिविहार जैन ट्रस्ट हायवे शंखेश्वर जि. पाटण (गुजरात) फोन: 02733-73325 श्री जमणपुर तीर्थ पेढ़ी : श्री जैन देरासर पेढी मु. पो. जमणपुर, ता. टाटीज, जि. पाटण (गुजरात ) श्री कम्बोई तीर्थ पेढ़ी : श्री मनमोहन पार्श्वनाथ तीर्थ पेढी मु. पो. कम्बोई, ता. चाणश्मा, जि. पाटण (गुजरात) 137 www.jainelibrary.org

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