Book Title: Jain Tirth Parichayika
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 199
________________ जैन तीर्थ परिचायिका तमिलनाडु मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, खड़गासन मुद्रा में। तमिलनाडु मार्गदर्शन : यह तीर्थ उलुन्दरपेट से 4 कि.मी. दूर थिरूनरुकंद्रम के पास एक पहाड़ी पर स्थित श्री पारसनाथ है। चेन्नई से यह लगभग 200 कि.मी. दूर है। स्टेशन से बस व टैक्सी की सुविधा है। आखिर तक कार व बस जा सकती है। विल्लीपुरम यहाँ से 40 कि.मी. दर है। तीर्थ पर प्रात: 4 भगवान जन ताथ बजे से रात्रि 10 बजे तक प्रत्येक 2 घन्टे से बसों का आवागमन होता है। (जिनगिरि) परिचय : यहाँ प्राचीन गुफाएँ हैं, जिनमें शय्याएँ बनी हुई हैं। चोल नरेश की बहिन राजकुमारी पेढ़ी : कुन्दवै ने इसके समीप एक जलाशय का निर्माण कराया था। जो आज भी कुन्दवै जलाशय श्री पारसनाथ भगवान जैन के नाम से प्रसिद्ध है। पार्श्वनाथ भगवान को वर्तमान में स्थानीय लोग श्री अप्पाण्डैनादर के नाम से पुकारते हैं । अनेक मुनि संघों का यहाँ आवास रहा है। प्रति वर्ष वैशाख शुक्ला दशमी मन्दिर (श्री अप्पान्डैनादर) थिरूनरूकुन्द्रम, पोस्ट से पूर्णिमा तक मेला लगता है। ये तीनों शिखर चोल राजवंशीय कला के नमूने, आदर्श व नानाराम-606 102 अत्युत्तम प्रतीक के रूप में स्थित हैं। इसी मन्दिर में श्री चन्द्रप्रभ भगवान की प्रतिमा भी जिला विल्लीपुरम् अत्यन्त प्रभावशाली है। (तमिलनाडु) ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए तलहटी में धर्मशाला है। भोजन की व्यवस्था, यदि यात्री 4-6 हो तो ही, सम्भव होती है। मूलनायक : श्री चन्द्रप्रभ भगवान, अर्द्ध पद्मासनस्थ। श्री विजयमंगलम मार्गदर्शन : यह तीर्थ ईरोड स्टेशन से 20 कि.मी. दूर विजयमंगलम गाँव के उत्तरी भाग के तीर्थ वस्तिपुरम में स्थित है। स्टेशन से बस, टैक्सी, ऑटो आदि साधन उपलब्ध हैं। मंदिर तक बस व कार जा सकती है। पेढ़ी: परिचय : कोंगनाडके राजा श्री कोंगवेलिर ने इस मन्दिर का निर्माण करवाया था जो आज भी श्री चन्द्रप्रभ भगवान जन उनकी धर्मभावना की याद दिलाता है। वर्तमान में स्थानीय लोग इसे अमनेश्वर मन्दिर कहते ' मन्दिर हैं। मन्दिर के स्तम्भों, छतों में भगवान के पंचकल्याणक वैभव व चौबीस तीर्थंकर भगवान डाकघर विजयमंगलम की मूर्तियाँ अंकित हैं। इसी मन्दिर में श्री आदिनाथ भगवान की व भगवती अम्बिका देवी जिला ईरोड (तमिलनाडु) की कलात्मक प्राचीन प्रतिमाएँ अति ही दर्शनीय हैं। आज मन्दिर का कार्यभार पुरातत्व विभाग की देख-रेख में है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने की कोई सुविधा नहीं है। मूलनायक : श्री महावीर भगवान, पद्मासनस्थ, आचार्य कुन्द कुन्द चरण । श्री पोन्नूरमलै तीर्थ मार्गदर्शन : यह तीर्थ दिण्डीवनम् रेल्वे स्टेशन से 40 कि.मी. तथा चेन्नई से 130 कि.मी. दूर है। । पेढ़ी : वन्दवासी से यह स्थान 9 कि.मी. दूर है। चेन्नई से यहाँ सीधी बस सेवा उपलब्ध है। - श्री आचार्य कुन्द कुन्द जैन वन्दवासी के लिए चेन्नई से प्रत्येक घन्टे में बस सेवा है। वन्दवासी से पोन्नूरमलै के लिए संस्कृति सेन्टर भी बस सेवा है। प्रत्येक आधे घन्टे में पोन्नूरमलै पर बसों का आवागमन होता रहता है। कुन्द कुन्द नगर, पोस्ट बैंगलोर की ओर से आने के लिए कृष्णगिरी-तिरूवन्नामुलै होते हुए यहाँ पहुँचा जा सकता वडवणक्कमबडी, है। मेलचिनामूर जैन मठ यहाँ से ६० कि.मी. तथा तिरूमलै मठ 70 कि.मी दूर है। जिला तिरूवन्नामलै-604 505 परिचय : इस तीर्थ की प्राचीनता ई. प्रथम शताब्दी के प्रारम्भ से होने का उल्लेख मिलता है। उस (तमिलनाडु) समय प्रसिद्ध आचार्य कल्प श्री कुन्दकुन्द आचार्य जैसे प्रकाण्ड विद्वान आचार्य ने इसे अपनी फोन : 04183-25033 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only 1F www.jainelibrary.org

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