Book Title: Jain Tirth Parichayika
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 168
________________ गुजरात जैन तीर्थ परिचायिका श्री चाणश्मा तीर्थ __ मूलनायक : श्री भटेवा पार्श्वनाथ भ., धरणेन्द्र-पद्मावती सहित परिकर युक्त, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : मेहसाणा से यह तीर्थ 32 कि.मी. दूर स्थित है। मेहसाणा हारीज रेल्वे मार्ग पर पेढ़ी: यह तीर्थ आता है। मेहसाणा से बस सेवा उपलब्ध है। कंबोज से यह 10 कि.मी., गांभु से श्री चाणश्मा जैन महाजन 11 कि.मी., पाटण एवं चारूप से 18 कि.मी. दूर है। पेढी मोटी वाणीया वाड परिचय : इस तीर्थ की स्थापना कई शताब्दी पूर्व हुई है। ईडर गाँव के निकट भाटुआर गाँव के मु. पो. चाणश्मा, श्रावक सूरचंद को यह प्रतिमा भूगर्भ से मिली। उसके बाद प्रतिदिन सूरचंद के यहाँ ऋद्धीजि. पाटण-384 220 सिद्धी की वृद्धी होती रही। समाचार को सुनकर वहाँ के राजा ने प्रभु प्रतिमा माँगी। राजा (गुजरात) के यहाँ प्रभु प्रतिमा की आशातना होगी यह सोचकर श्रावक ने प्रतिमा भूगर्भ में सुरक्षित फोन : (02934) 82325 रखी। बाद में यहाँ सुन्दर मंदिर बनाया गया, जिसमें इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा की गयी। यह प्रतिमा बालू से निर्मित की गयी है। श्रद्धालु भक्तगणों की मनोकामना यहाँ पूरी होती है यहाँ की ऐसी मान्यता है। बावन जिनालय युक्त इस मंदिर की निर्माण शैली बहुत सुन्दर है और धरणेन्द्र देव, पद्मावती माता इनकी प्रतिमा अति मनोहारी है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ रहने के लिये सुविधा सम्पन्न धर्मशाला की व्यवस्था है। भोजनशाला की सुविधा है। समय प्रातः 9-1 तथा सायं 5.30 तक है। भाता सुविधा प्रात: 8 से 5.30 तक है। श्री मोढेरा तीर्थ पेढ़ी: श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भ. जैन देरासर पेढी मु. पो. मोढेरा, जि. पाटण (गुजरात) . मूलनायक : श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भ., श्वेतवर्ण, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : यह स्थान बेचराजी से 14, चाणश्मा से 19 और रांतेज से 6 कि.मी. दूरी पर है। गांभू तीर्थ से यह 7 कि.मी. दूर स्थित है। मेहसाणा से बस सुविधा उपलब्ध है। मेहसाणा यहाँ से 25 कि.मी. दूर है। शंखेश्वर से यह 80 कि.मी. दूर है। मोढेरा से चाणश्मा कम्बोई, सामी होते हुए शंखेश्वर जाया जा सकता है। परिचय : मोढेरा गाँव के मध्य यह तीर्थस्थान है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है। विक्रम संवत् आठवीं शताब्दी में आचार्य श्री सिद्धसेनसूरी जी म. यहाँ यात्रा के लिए आये थे। यह स्थान प्राचीन होने के कारण प्राचीन प्रतिमाएँ तथा कला के अवशेष जगह-जगह पर पाये जाते हैं। यहाँ का विशाल सूर्यमंदिर अपनी शिल्पकला के कारण सुविख्यात है। इसे सन् 102627 में सोलंकी राजा भीमदेव द्वारा निर्मित कराया गया। यहाँ की आंतरिक कला के साथ साथ बाह्य शिल्पकला भी अत्यन्त मनोहारी है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ ठहरने के लिये जैन धर्मशाला नहीं है, किन्तु गाँव में सार्वजनिक धर्मशाला है। श्री शंखलपर तीर्थ मोढेरा से 14 कि.मी. दूर तथा बेचराजी स्टेशन से 2 कि.मी. दूरी पर शंखलपुर गाँव में यह जिनालय स्थित है। यहाँ का मन्दिर तीन शिखरवाला सुन्दर और प्राचीन है। यहाँ तहखाने में विशाल देवालय है जिसमें अनेकों प्राचीन मूर्तियाँ विराजित हैं। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु हैं। Jamedication International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218