Book Title: Jain Tirth Parichayika
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 173
________________ जैन तीर्थ परिचायिका। गुजरात सिद्ध पुरुष दादा भगवान की प्रेरणा से यहाँ पर तीन मंदिर बने हैं। दादा भगवान सभी धर्मों में महाविदेह तीर्थ समभाव रखने वाले थे। इसलिए बीच में श्री सीमंधर स्वामी का मंदिर है। एक और धाम नवागाम शिवलिंग का मंदिर है तथा दूसरी ओर श्रीकृष्ण का मंदिर है। ऐसा कहते हैं कि सूरत स्टेशन पेढ़ी : पर दादा भगवान को ब्रह्मांड दर्शन हुआ। और तब से वे लोगों में सदाचार प्रचार का काम जय सच्चिदानंद संघ, करने लगे। यहाँ के जैनमंदिर में श्री सीमंधर स्वामी की 145 इंच ऊँची भव्य प्रतिमा है, जो नवागाम, डाकघर-कामरेज, मेहसाणा के मंदिर की प्रतिकृती है। मंदिर के पास ही बड़ी धर्मशाला बनी है तथा भोजन चार रास्ता, मुम्बई-अहमदाबाद की भी सुविधा है। धर्मशाला में 72 कमरे हैं। यात्रियों को 30 रु. नाममात्र भेट रकम में यहाँ हाइवे, जिला सूरत (गुजरात) पर ब्लॉक निवास के लिए मिलता है। भोजन यहां निःशुल्क उपलब्ध रहता है, किन्तु फोन .0003150110 यात्रीगण अपनी इच्छा से भेंट रकम देते हैं। 52729 मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ। जिला सुरेन्द्रनगर मार्गदर्शन : वीरमगाँव-दसाड़ा सड़क मार्ग से यहाँ जा सकते हैं। पाटड़ी यहाँ से 10 कि.मी. श्री उपरियालाजी तीर्थ दूर स्थित है। वीरमगाँव से यह लगभग 32 कि.मी. दूरी पर स्थित है। अहमदाबाद तथा वीरमगाँव से यहाँ जाने के लिये बसों की सुविधा हैं। पेढ़ी : परिचय : यह तीर्थस्थान विक्रम संवत् 15वीं शताब्दी पूर्व का माना जाता है। यहाँ की प्रभु श्री आनंदजी कल्याणजी पेढी प्रतिमाएँ एक किसान को अपने खेत में मिली, उसने वे जैन श्रावकों को दी। जैन श्रावकों म. पो. उपरियालाजी, ने वे प्रतिमाएँ जिनमंदिर में प्रतिष्ठित की। यहाँ की प्रभु प्रतिमा बहुत ही चमत्कारी है। जि. सुरेन्द्रनगर (गुजरात) श्री शियाणी तीर्थ मूलनायक : श्री शांतिनाथ भगवान। मार्गदर्शन : लिम्बड़ी से 13 कि.मी. दूर, लिम्बड़ी-लख्तर मार्ग पर शियाणी गांव के मध्य यह तीर्थ स्थित है। सुरेन्द्रनगर से लिम्बड़ी 30 कि.मी. दूर पड़ता है। शंखेश्वर से लख्तर होकर पालीताना जाते समय मार्ग में यह तीर्थ आता है। वीरमगांम से लख्तर 43 कि.मी. तथा लख्तर से शियाणी 20 कि.मी. पड़ता है। परिचय : यह भव्य तीर्थ संप्रति महाराज के काल का बना हुआ माना जाता है। मंदिर की शिल्पकला अत्यन्त दर्शनीय है। देवी सरस्वती की मूर्ति की कला-सौन्दर्य मन को मुग्ध कर देती है। मंदिर के तहखाने वाला भाग तहखाना वाला प्राचीन मंदिर के नाम से जाना जाता है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ निवास एवं भोजन की व्यवस्था उपलब्ध है। बड़ौदा यह कोई प्राचीन तीर्थक्षेत्र नहीं है। किन्तु यहाँ जैन समाज की आबादी काफी होने से इस जिला वडोदरा शहर में लगभग 21 भव्य जिनमंदिर हैं। यह मंदिर घाड़ियाली पोल, जानी शेरी, पटोलिया पोल, नवी पोल, मामानी पोल आदि विभिन्न भागों में बने हैं। बड़ौदा यह एक भारत का सुन्दर शहर है। स्टेशन से आधा कि.मी. दूरी पर सयाजी उद्यान नामक भव्य बगीचा है। जहाँ कई बड़े-बड़े पेड़ तथा सुन्दर पौधे हैं। इसी के अन्दर प्राणी संग्रहालय हैं जिसमें कई प्राणी हैं। यहाँ पर एक म्युजियम भी हैं। जो देखने योग्य है। यहाँ के प्लेनेटोरियम में आकाश दर्शन के हर शाम दो शो किये जाते हैं । यहाँ और भी सुन्दर बगीचे बने हुए हैं। धर्मशालाएँ 1. जैन धर्मशाला-घड़ियाली पोल, मांडवी 2. श्री उत्तमचंद जव्हेरी धर्मशाला-नरसिंहजी पोल 3. खतरगच्छीय मूलचंदजी जैन धर्मशाला-नया बाजार, चापानेर गेट के पास Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibar143

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