Book Title: Jain Tirth Parichayika
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 133
________________ राजस्थान जैन तीर्थ परिचायिका देवियों की मूर्तियाँ हैं। जिनके हाथों में विभिन्न अस्त्रआयुध सुशोभित हैं। रंगमंडप की आसपास की छतों पर सरस्वती, लक्ष्मीदेवी, भरत-बाहुबली के युद्ध का दृश्य, अयोध्या एवं तक्षशिला नगरी, राजदरबार का दृश्य आदि अलंकृत है। विमलवसही और लुणवसही इन दोनों मंदिरों में काफी समानता है। विमलवसही मंदिर में मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान हैं और लुणवसही में श्री नेमिनाथ भगवान हैं। दोनों मंदिरों में 52 देरीयाँ हैं जिसमें तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ स्थापित की गयी हैं। इन देरीयों के सामने जो बरामदा है, उसे परिक्रमा कहा जाता है। परिक्रमा के छतों पर आकर्षक शिल्पकला की गयी है। जैन तीर्थंकरों के चरित्र के कुछ जीवन प्रसंग, उनका पंचकल्याणक महोत्सव, फूल-पत्तियाँ, पशु-पक्षी, नाटक, संगीत आदि के सुन्दर शिल्प यहाँ पर हैं। दोनों मंदिरों में हाथीशाला हैं, जिसमें संगमरमर के 10-10 हाथी हैं। भगवान की पूजा करने वाले जैनश्रावकों के लिये सुबह 12 बजे तक का समय रखा गया है। पर्यटकों के लिए श्रद्धा के ये द्वार दोपहर 12.00 से सायं 6.00 बजे तक खुले रहते हैं। लणवसही मंदिर के दायीं तरफ एक छोटे बगीचे में दादा साहब की पगलियाँ बनी हैं और बायीं तरफ एक कीर्तिस्तंभ है, जो अधूरा-सा प्रतीत होता है। इनके अतिरिक्त दो और मंदिर हैं। पहला पित्तलहर जो महाराणा सांगा के किलेदार भामाशाह ओसवाल ने 15वीं शताब्दी में बनवाया। मंदिर में श्री आदिनाथ भगवान की धातु की विशाल मूर्ति है। दूसरा मंदिर खरतरवसही है, जिसमें मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान हैं। इस मंदिर को "शिल्पियों का मंदिर" भी कहते हैं। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ का कारोबार देखने वाले मंदिर की पेढी का नाम सेठ कल्याणजी परमानंदजी पेढी है। मंदिर के बाहर सड़क की दसरी ओर दो बडी धर्मशालाएँ हैं। जहाँ यात्रियों की निवास की सभी सुविधा है। यात्रियों के लिये कुछ दूरी पर कुछ नये ब्लॉक भी बने हैं। मूलनायक : श्री आदिनाथ भगवान। श्री अचलगढ़ तीर्थ मार्गदर्शन : माउन्ट आबू शहर से लगभग 11 कि.मी. दूरी पर अचलगढ़ अर्थात् दुर्ग एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थान है। शहर से अचलगढ़ तक सिटी बस व टैक्सी जाती हैं। दिलवाड़ा- पेढ़ी : अचलगढ़ बसें भी चलती हैं। देलवाड़ा से यह 8 कि.मी. एवं आबू रोड से 35 कि.मी. दूरी श्रीमंत सेठ अचलसी पर है। यहाँ टैक्सी उपलब्ध हैं। इस तीर्थ पर आने के लिए आबू पर्वत पर वर्धमान महावीर अमरसी जी जैन श्वे. पेढ़ी केन्द्र के पास से टैक्सी उपलब्ध रहती है। माउन्ट आबू बस स्टैण्ड से प्रात: 9.30 बजे, अचलगढ़, आबू पर्वत 12 बजे तथा 4 बजे यहाँ के लिए बस सेवा है। (राजस्थान) 307 501 फोन : 02974-44122 परिचय : यहाँ पर कई जैन और हिन्दुओं के मंदिर तथा दर्शनीय स्थान हैं । देलवाड़ा से अचलगढ़ तक बसें चलती हैं। अचलगढ़ एक किला है, जो समुद्रतल से लगभग चार हजार फुट ऊँचाई पर है। यहाँ का चौमुखीजी का मंदिर सुप्रसिद्ध है। दो मंजिलों के इस मंदिर में चार-चार बड़ी और भव्य मूर्तियाँ हैं । यहाँ कुल 14 पंच धातु की जिनप्रतिमा हैं, जिनका वजन 1444 मन है। मुख्य मंदिर में जैन तीर्थंकरों के जीवन चरित्र तथा कुछ जैनतीर्थों के दृश्य उत्कीर्ण किये हैं। इसके पास ही श्री आदेश्वर भ., श्री कुंथुनाथ भ., श्री पार्श्वनाथ म., श्री शान्तिनाथ भ. एवं गुरु मन्दिर समाधि के मंदिर हैं। योगीराज श्री शान्तिसूरी जी म. यहाँ पर कुछ दिन तपश्चर्या करते रहे। यहाँ का अचलेश्वर महादेव का मंदिर प्रसिद्ध है। इस मंदिर के उत्तर में Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jaineli 105

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