Book Title: Jain Tirth Parichayika
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 107
________________ राजस्थान जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री स्वयंभू पार्श्वनाथ । श्री कापरडाजी मार्गदर्शन : जोधपुर-जयपुर मार्ग पर जोधपुर से 50 कि.मी. दूरी पर यह तीर्थ है। यहाँ से बिलाड़ा 27 कि.मी. दूर है। निकटतम रेल्वे स्टेशन सिलाड़ी 8 कि.मी. तथा पीपाड़ सिटी 16 कि.मी. दूर स्थित है। श्री गंगाणी तीर्थ यहां से 60 कि.मी. दूर है। जोधपुर से बस एवं टैक्सी का पेढ़ी : साधन उपलब्ध है। प्रमुख मार्ग पर होने के कारण बसों का आवागमन होता रहता है। श्री जैन श्वेताम्बर प्राचीन तीर्थ परिचय : यहाँ का मंदिर चार मंजिला एवं चौमुखी है। मंदिर के ऊँचे शिखरों का दर्शन बहुत मु. पो. कापरडा, वाया दूर से होता है। चार मंजिला चौमुखा भारतवर्ष में प्रथम मन्दिर है। भूतल से मन्दिर का भावी शिखर लगभग 95 फुट ऊँचा है। इसकी कला अति सुन्दर दर्शनीय है। पूजा सायं 4 बजे तहसील बिलाड़ा, जि. तक कर सकते हैं। जोधपुर-342 605 यह मंदिर श्री भानाजी भंडारी द्वारा बनाया गया। यहाँ की प्रभु प्रतिमा इसी गाँव में बबूल (राजस्थान) की झाडी में पायी गयी और वह प्रभु के जन्मकल्याणक दिन को प्रकट होने से उसे श्री फोन : (02930) 63909. स्वयंभू पार्श्वनाथ भगवान कहते हैं। प्रभु प्रतिमा के हस्त रेखा, पैरों में नख एवं पद्म भी है। 63947 पी.पी. ठहरने की व्यवस्था : यहाँ सुविधायुक्त 60 कमरों की धर्मशाला है एवं भोजनशाला की सुविधा है। मावा मार्गदर्शन-जोधपुर-जयपुर मार्ग पर जोधपुर से 79 कि.मी. दूरी पर मुख्य मार्ग से लगभग श्री बिलाड़ा तीर्थ 2 कि.मी. अंदर गाँव में तहसील के सामने जैन दादावाड़ी स्थित है। यह तीर्थ कापरडाजी से 27 कि.मी. दूरी पर है। यहाँ गाँव के बाहर प्रमुख मार्ग पर सोजत, जोधपुर के लिए बसें पेढी : मिल जाती हैं। श्री जिनचन्द्र सूरि जैन परिचय-यह चतुर्थ दादा गुरुदेव श्री जिनचन्द्र सूरि जी का समाधि स्थल है। दादा गुरुदेव ने दादावाड़ी अकबर को प्रतिबोधित किया था। अतः अकबर प्रतिबोधक दादागुरु के नाम से भी प्रसिद्ध है। तहसील के सामने यहाँ ठहरने हेतु 12 कमरों की सुविधायुक्त व्यवस्था है। ओढ़ने बिछाने का सामान उपलब्ध बिलाड़ा (जिला जोधपुर) फोन : (02930) 22676 है। भोजनशाला आदि की व्यवस्था उपलब्ध है। यहाँ पहुँचने पर पुजारी जी को सूचित करने पर भोजन आदि तैयार कर दिया जाता है। मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, हरितवर्ण, कार्योत्सर्ग मुद्रा। जिला झालावाड़ मार्गदर्शन : यह स्थान राजस्थान के झालावाड़ जिले में है, किन्तु मालवा तीर्थस्थानों की यात्रा श्री नागेश्वर तीर्थ करते हुये यहाँ जाना सुविधाजनक है। यहाँ से नजदीक रेल्वे स्टेशन विक्रमगढ़ आलोट 8 कि.मी. तथा चोमहला (राजस्थान) 15 कि.मी. नागदा-शामगढ़ के मध्य रतलाम कोटा पेढ़ी: लाइन पर स्थित है। स्टेशन से यात्रियों की सुविधा हेतु जीप व मिनीबस की सुविधा पेढ़ी श्री जैन श्वेताम्बर नागेश्वर की ओर से है। चौमहला से भी पक्का रास्ता है तथा नियमित बस सेवा उपलब्ध है। सड़क तीर्थ पेढी मार्ग से रतलाम से लगभग 92 कि.मी. दरी पर तथा उज्जैन से लगभग 100 कि.मी. दरी पर मु. पो. उन्हेल, तथा जाओरा से 55 कि.मी. दूरी पर उन्हेल के निकट स्थित है। स्टे. चौमहला परिचय : यहाँ की श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ की प्रतिमा लगभग ग्यारह सौ वर्ष पुरानी है। उपाध्याय जि. झालावाड़-326 515 श्री धर्मसागर जी म. तथा गणिवर्य श्री अभयसागर जी म. ने इस परिसर के जैनसंघ को (राजस्थान) जागृत किया और उनकी प्रेरणा से उचित सरकारी कदम उठाकर मंदिर का कार्यभार जैनसंघ फोन : (07410) 40711. ने अपने हाथ में सँभालकर विधिवत् सेवा-पूजा प्रारम्भ की। 40715 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainel 79org

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