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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
(३) महावीर- अचेलकता अर्थात् नग्नता का कठोर परीषह जिसे बड़े बड़े शक्तिशाली पुरुष भी सहन नहीं कर सकते हैं उसको भी भगवान् वर्धमान ने समभाव पूर्वक सहन किया इस कारण देवों ने उनका नाम ' महावीर 'क्खा । (१) विदेह-विदेह दिगण । आचाराङ्ग सूत्र के चौवीसवें अध्ययन में अन्यस्थल पर लिखा है- 'तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे णाये, णायपुरो, गायकुलणिन्वये, विदेहे, विदेहदिएणे, विदेहजच्चे, विदेहसमाले । ( सूत्र, १७ )
उपाठ में भगवान को 'विदेह' नाम से सम्बोधित किया है। भगवान का विदेह नाम भगवान की माता के कुल के साथ सम्बन्ध रखता है। माता त्रिशला 'विदेह' कुल की थी।
आचाराङ्ग सूत्र में लिखा है- 'समणस्स भगवो महावीरस्स अम्मा वासिङगोता। तीसे वंतिरिण णामधेजा एवं पाहिज्जंति तिसलानि वा विदेहदिएणात्तिवा,पियकारिणि चिवा। राजा चेटक वैशाली नगरी की गणसत्ता का प्रमुख था। वैशाली नगरी विदेह देश का एक अवयव रूप थी। राजा चेटक का घराना 'विदेह' नाम से ख्यात था इसी कारण चेटक कीबहिन और प्रभु महावीर की माता त्रिशला के भी विदेह के घराने की होने से विदेहदिएणा-विदेह दत्ता नाम हुआ और विदेहदिएणा के पुत्र भगवान वर्षमान का नाम विदेह'और विदेहदिएण हुआ। (५) गाय, णायपुत्त-ज्ञात, ज्ञातपुत्र- माता के कुल के कारण भगवान् महावीर का नाम विदेह पड़ा। इसी प्रकार पिता के वंश के । कारण प्रभु का नाम णाय-ज्ञात अथवा णायपुत्-शातपुत्र हुआ। उक्त स्थल के प्राचाराङ्ग सूत्र के पाठ में लिखा है-'णाए-शाय- , पुचे, गायकुलणिवत्ते'। भगवान के पिता राजा सिद्धार्थ को भी सायकलणिवत्ते-नातकुल-नितः अर्थात् 'ज्ञात कुल में