________________
( ४ ) प्रश्न :-उभय बन्ध को जानने-मानने से क्या लाभ रहा?
उत्तर-[अ] विश्व मे निगोद से लगाकर १४वे गुणस्थान तक के असमान जातीय उभय बन्ध का सच्चा ज्ञान हो जाता है। [आ] उभय वन्ध को समझने से प्रयोजन भूत सात तत्वो का रहस्य समझ मे आ जाता है।
प्रश्न १०-असमानजातीय उभय बन्ध के विषय मे मोक्ष मार्ग प्रकाशक तथा प्रवचनसार मे क्या बताया है ?
उत्तर-(१) मोक्ष मार्ग प्रकागक सातवे अधिकार मे लिखा हैअसमानजातीय उभय बन्ध का ज्ञान हो जावे तो मिथ्याद्रप्टिपना न रहे। (२) प्रवचनसार गाथा १५४ की टीका व भावार्थ मे आया है कि मनुष्य-देव इत्यादि अनेक द्रव्यात्मक असमान जातीय द्रव्य पर्यायो मे भी जीव का स्वरूप अस्तित्व और प्रत्येक परमाणु का स्वरूप अस्तित्व सर्वथा भिन्न-भिन्न है । स्व-पर का भेद विज्ञान करने के लिए जीव के स्वरूप अस्तित्व को पद-पद पर लक्ष्य मे लेना योग्य है।
प्रश्न ११-यह मेरी किताब है-इस वाक्य पर बन्ध की चार बात लगाकर समझाइये?
प्रश्न १२-मै बहू हूं-इस वाक्य पर वन्ध की चार बातें लगाकर समझाइये?
प्रश्न १३-मैने हिसा का भाव किया-इस वाक्य पर बन्ध की चार बाते लगाकर समझाइये?
प्रश्न १४-यह मेरी हीरे की अंगूठी है-इस वाक्य पर बन्ध की चार बातें लगाकर समझाइये?