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अन्योन्याभाव है। (३) शरीर के उठने रुप वर्तमान पर्याय का भूत की पर्याय मे प्रागभाव हे। (४) गरीर के उठने रुप वर्तमान पर्याय का भविष्य की पर्याय मे प्रध्वसाभाव है। अब जैसे शरीर का उठना उस समय पर्याय की योग्यता से ही हुआ है, वैसे ही विश्व मे जितने भी कार्य है, वे सब उस समय की पर्याय की योग्यता से हो चुके है, हो रहे है, और भविष्य मे होते रहेगे। ऐसा तमझने से पर मे कर्ता-भोक्ता की खोटी मान्यता का अभाव होकर तत्काल बीतगगता की प्राप्ति हो जाती है। और फिर क्रम से मोक्ष रूपी लक्ष्मी का नाय बन जाता है।
प्रश्न :-मैने घडा बनाया-इस वाक्य पर सामान्य गुण और चार अभावो को १ से ८ तक के प्रश्नोत्तरो के अनुसार समझाइये?
प्रश्न १०-मैने रोटी वनाई-इस वाक्य पर छह सामान्य गुण और चार अभावों को १ से ८ तक के प्रश्नोत्तरो के अनुसार लगाकर समझाइये?
प्रश्न ११-मैने अग्नि से पानी गरम किया-इस वाक्य पर छह सामान्य गुण और चार अभावो को १ से ८ तक के प्रश्नोत्तरो के अनुसार लगाकर समझाइये?
प्रश्न १२-मैने किताव बनाई-इस वाक्य पर छह सामान्य गुण और चार अभावो को १ से ८ तक के प्रश्नोत्तरो के अनसार लगाकर समझाइये?
प्रश्न १३-मैने बिस्तर बिछाया-इस वाक्य पर छह सामान्य गुण चार अभावो को १ से ८ तक के प्रश्नोत्तरी के अनुसार लगाकर समयादये?