Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara
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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manuscripts
( Puja-Patha-Vidhana)
Closing :
नाहकारवशीकृतेन मनसा न द्वषिणा केवलम्, नैरात्म्य प्रतिपद्य नश्यति जना कारुण्य बुध्या मया। राज्ञ श्री हिमशीतलस्य सदसि प्रायो विदिग्धात्मना, बौद्धोद्यान् सकलान् विजित्य सुगत पादेन विस्फालित ॥१६॥ इति अकलकाष्टकम् ।
Colopbon:
Opening :
Closing ! Colophon .
१८६०. पद्मावती-पूजा नम श्रीपार्श्वनाथाय चतुर्विशति मगलम् ॥ श्रीपार्श्वनाथपदपकज-सेव्यमान • प्रभजामि नित्यम् ॥ अनुपलब्ध ।
१८६१. पद्मावती-पूजा
Opening | Closing .
जय कुसुमकुकुमारूणशरीर - पद्मावती ।। गभीर मधुर मनोहरतर सद्धोषरत्नाकरम्, वक्र पूर्णकर सुधाहितकर भक्तावुज भास्करम् । नानावर्णसुरत्नभूषितकर ससारसौख्याकरम् । श्रीपद्मावती देविमूत्तिसुभद कुर्वन्तु वो मगलम् । इति श्री पद्मावती देवी पूजा सम्पूर्णम् ।
देखे, जै० सि० भ० ग्र० I, ऋ० ८३२ ।
Colophon
१८६२ पद्मावती-पूजा
Opening । Closing ! Colodhon:
देखे, १६६१ । देखे, के० १९६१ । इति श्री पद्मावती पूजा समाप्तम् ।
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