Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara
View full book text
________________
Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhrama & Hindi Manuscripts ( Puja - Patha - Vidhana )
Opening :
Closing
Colophon :
Opening :
Closing :
Colophon :
Opening :
Closing
Colophon :
Opening
१९५६. सरस्वती पूजा
ॐ नमः प्रगटित परमापंशुल मितिनारे, जिनपनिगमिन् नारता गदधान । जगति समयमारको संस. नन्मुनिन्द्र मदन्तु मम पितं मच्छुतज्ञानरूप ।
ज्ञान तिमिरहर ज्ञान दिवाकर, पढे सुणे जे भाव घनी । जिनदान भासि विविध प्रकानि मनवछित फल बुद्धिघणी ॥
इति नरस्यति जयमाला सपूर्णम् ।
१६५७. शास्त्र-पूजा
प. पयोधे त्रिदशापगाया पयः पय पेयतयोपयोग्यम् । समतमा श्रुतदेवतार्यः भगत्या परार्थ परया ददामि ||१|| लोक अलोक ।
जिनवाणी के ज्ञान से द्यागत जग जेवत को सदा देत है धोक ||११||
इति शाम्य पूजा |
२६१
१६५८ शास्त्र - पूजा
जनन मृत्युजराक्षयकारण अह परिपूजये ||१|| मलकीति कृतामपि सम्तुति पठति य. मतत मतिमान्नरः । विजयको तिगुरुकृतमादरात् सुमतिकल्पलताफलमस्तुति ||१०|| इति सरस्वति स्तुति विधानम् ।
देखें, दि० जि० ग्र० २०, पृ० १६८ ।
..
१९५६. शास्त्र - पूजा
देखें, ऋ० १६५८ |
..

Page Navigation
1 ... 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519