Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara
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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावलो
Shri Devakumar Jain Oriental Library,Jain Siddhant Bhavan, Arrab
१९५३. सप्तर्षि-पूजा
Opaning !
श्रीमद्गणीद्र-हिमवन्मु वक्रदराया. वार नीमप्तसुनरितिचारू
विनिर्गतायाम् । स्नाताननेकविधधर्मतरगिकाया योगीश्वरानघरत्नधरान समर्ने ।
Closing ;
असमसुखसार तीक्ष्णदष्ट्राकराल स्वकरकरजटिल दीर्घजिह्वा
करालम् । सुघटविकृतचक्र शातिदासप्रसस्य भजतु नमतु जैन भैरव
क्षेत्रपालम् ॥१॥ अनुपलब्ध है ।
Colophon.
१९५४. सप्तर्षि-पूजा
Opening !
Closing ! Colophon|
देखें, ऋ० १९५३ । ए रिसि व्रत- ....." वसुरिद्धिहं ।। इति सप्तऋषि पूजा समाप्तम् ।
१६५५. सप्तर्षि-पूजा ।
Opening :
Closing . Colophone
वदेह विश्वसेनेश - ...." ज्ञानरूप निरजनम् ॥१॥ मानव विकृति येषा ... ..." तत्व तत्वार्थवेदिन. ।।१४।। अनुपलब्ध ।

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