Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 496
________________ २६० श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावलो Shri Devakumar Jain Oriental Library,Jain Siddhant Bhavan, Arrab १९५३. सप्तर्षि-पूजा Opaning ! श्रीमद्गणीद्र-हिमवन्मु वक्रदराया. वार नीमप्तसुनरितिचारू विनिर्गतायाम् । स्नाताननेकविधधर्मतरगिकाया योगीश्वरानघरत्नधरान समर्ने । Closing ; असमसुखसार तीक्ष्णदष्ट्राकराल स्वकरकरजटिल दीर्घजिह्वा करालम् । सुघटविकृतचक्र शातिदासप्रसस्य भजतु नमतु जैन भैरव क्षेत्रपालम् ॥१॥ अनुपलब्ध है । Colophon. १९५४. सप्तर्षि-पूजा Opening ! Closing ! Colophon| देखें, ऋ० १९५३ । ए रिसि व्रत- ....." वसुरिद्धिहं ।। इति सप्तऋषि पूजा समाप्तम् । १६५५. सप्तर्षि-पूजा । Opening : Closing . Colophone वदेह विश्वसेनेश - ...." ज्ञानरूप निरजनम् ॥१॥ मानव विकृति येषा ... ..." तत्व तत्वार्थवेदिन. ।।१४।। अनुपलब्ध ।

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