Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 514
________________ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली ShreDeyakumár Jain Oriental Library,Jain Siddh int Bhavan, Arrab Closing • Colophon ; चौवीसो जिनराज की महिमा कही बताई। पढे सुन नरनारी सब सुर शिव पहुँचे जाई ॥४३॥ इति श्री वर्तमान चौवीसी वास ठिठाने ? की पूजा सम्पूर्णम् । शुभमस्तु सिद्धिरस्तु । कल्यानमरतु शुभ सम्वत् १८६० | मासोत्तमे मास अग्रहने मासे शुक्लपक्षे द्वादश्या चन्द्रवासरे पुस्तकमिद रघुनाथ सर्मने लेखि पढ़नपुरमध्ये आलमगज निवसतु । लेखक पाठकयो मगलमस्तु ॥ शुभ भूयात् । २०१५. वर्तमानजिननाम Opening ! Closing Clolophon: नत्वा सिद्धसमूह च ज्ञानमूर्तिजिनप्रभम् । भरतैरावतास्थाना निनः साक विदेहर्ज ॥ भूतानागतवतर्मानजिन . - सद्भव्यसप्रार्थनात् ॥३०॥ इति श्री अतीतवर्तमानागतपचभ रतैरावतत्रिंशच्चतुर्विंशतिका लौकिकाव्यवस्थाया वीक्ष्य कृता शुभचन्द्रण जिनभक्तिरागात्चिर नन्दतु । इति त्रिंशस्चतुर्विशतिका पूजा समाप्ता। २०१६. विद्यमान-बीसतीर्थ कर-पूजा Opening । । Closing ! पूर्वापरन्देिहेषु विद्यमान-जिनेश्वर । स्थापयामि अहम् अत्र शुद्धमम्यक्तहेतवे ॥१॥ श्री मदिरादियुग देवमजित वीर्यमुनमम् । भूयात् भव्य सता सौख्य स्वर्ग-मुक्ति-सुखप्रद. ।। इति श्री वीस विद्यमान पूजा सपूर्णम् । Colophon : २०१७. विद्यमान बीस पूजा Opening देखें, ३० २०१६ ।

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