Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

View full book text
Previous | Next

Page 503
________________ २९७ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manuscripts (Puja-Parha-Vidhana) १६७८. सिद्धपूजा Opening ! Closiog : परम ब्रह्म परमातमा परम जोत परमीस । परम निरजन परम शिव नमो सिद्ध जगदीस ॥१॥ सुद्ध विसुद्ध सदा अविनासी ....... जाने सो दीवाना आतम को यह ॥ मपूर्ण । १९७६. सिद्धपूजा Colophon: Opening : Closing : इत्म चक्रमुपास्य दिव्य ध्यान फल न्यस्तुते ॥ नासाट सुरमपदा विदधति मुवितधियोवश्यताम्....... पायात्पचनम कृपाक्षरमयो ताराधनादेवता ॥१॥ नहीं है। Colophon . १९८०. सिद्धक्षेत्र-पूजा Opening : परम पूज्य चौबीस जिह जिह थानक सिव गये। मिह भूमि निम दीम मन वच तन पूजा करो ||१|| जो तीरथ जावं पाप मिटावं ध्यावं गावं भक्ति करें। ताके जस कहिए सपति लहिए गिर के गुन को बुद्ध उचर Closing . ॥१०॥ Colophon : इति श्री सिद्धक्षेत्र पूजा सम्पूर्णम् । Opening | १६८१. सिद्धचक्र-पूजा जिनाधीस सिवईस नमि सहस गुणित विस्तार । सिद्ध चक्र पूजा रचो शुद्ध त्रियोग सभार ।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519