Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara
View full book text
________________
Catalogue of Sanskrit, Praktit, Apabhamsa & Hindi Manuscripts ( Puja Patha-Vidhāna )
१९२५ सकलीकर
Opening
Closing
Colophon :
Opening :
C'osing
Colophon
Opening
Closing:
Colophon
Opening!
इन्द्रश्चैत्यालय गत्वा वीक्ष्य यज्ञागसज्जिनान् ।
यागमगलपूजार्थं परिक-र्मात्ररेदिदम् ||१||
सिद्धार्थान् अभिमन्ज्य परमत्रेण सर्वविघ्नोप समर्थान् सर्वदिक्षु
क्षिपेत् ॥
इति सकलीकरण सपूर्णम् ।
देखे, दि० जि० प्र० र० पृ० १६४ ।
१९२६ सकलीकरण विधि
धृत्वा शेषरपावहारपटके ग्रेवेयका लवक केयूरागदमदिव धुरकटी सूत्रा च मुद्राकितम् । चचत्कु उनकर्णपूरममल पाणिद्वय ककणम्, मजीर कटकपते जिनपते श्रीगधमुद्राकिते ||
२८१
सर्वराजभय छि० सर्वचोरभय छि० सर्वदृष्टिभय छि० सर्वदृष्टिमृगनय छ० सर्वसर्पभय छि० सर्ववृच्चिकभय छि० सर्व
ग्रहभय चि० सर्व दोपभय छि० सर्वव्या
अनुपलब्ध ।
१९२७. सकलीकरण विधि
वासपूज्य जगत्पूज्य लोकालोकप्रकाशकम् ।
नत्वा वक्ष्येत्र पूजाना मत्रान्पूर्वपुराणत ॥
लोक्य चोक्त श्री सोमसेनमुनिभि शुभमत्रपूर्वम् ।
इति श्री सकलीकरण विधि सम्पूर्णम् स० १९२१ ।
१९२८. सकलीकरण विधि
देखे, क्र० १ε२५ ।
1

Page Navigation
1 ... 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519