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जैनशिलालेख-संग्रह
___ मालवाके परमार वंशके राजा भोजके समयका - ग्यारहवीं सदी (पूर्वाध) का एक लेख (क्र० १३५) मिला है। इसमे सामन्त यशोवर्माद्वारा कल्कलेश्वर तीर्थके मुनिसुव्रतमन्दिरके लिए कुछ दान दिये जानेका वर्णन है। इसी वंशके उदयादित्यके समयका एक मन्दिर ऊनमे है (क्र० १७४) । ___ गुजरातके चौलुक्य राजा भीमदेव (प्रथम) का एक लेख मिला है (क्र० १४६)। इसने सन् १०६६ में वायड अधिष्ठानको वसतिकाके लिए कुछ भूमि दान दी थी। इसी वंशके राजा भीमदेव (द्वितीय) के समय - बारहवीं सदीके अन्तका एक लेख (क्र० २८७) है। इसमें वेरावलके चन्द्रप्रभमन्दिरके जीर्णोद्धारका वर्णन है । अणहिल्लपुरमे राजा-द्वारा नन्दिसंघके आचार्य श्रीकोतिके सम्मानका भी इसमें उल्लेख है।
बुन्देलखण्डके कलचुरि वंशका एक लेख मिला है (क्र.० २१७) । इसमे राजा गयाकर्ण तथा उसके सामन्त गोल्हणदेवके समय - बारहवी सदीके पूर्वार्ध मे एक मन्दिरके निर्माणका वर्णन है।
राजस्थानके चाहमान वंशके पांच लेख है (क्र० २१८, २३१-३२, २३५. २६५)। पहले चार लेख नडोलके राजा रायपालके समयके सन ११३३ से ११४६ तकके हैं। इनमे पहले लेखमे रानी मीनलदेवी-द्वारा यतियोके लिए दानका तथा बादके लेखोंमे ठाकुर राजदेव-द्वारा मन्दिर १. इस वंशका उल्लेख पहले संग्रहमें नहीं है। परमार वंशकी बाँस
वाडा व चन्द्रावती शाखाके लेख वहाँ आये हैं। (क्र० ३०५,
४७१, ४७२)। २. चोलुक्य कुमारपालका एक लेख (क्र० ३३२) पहले संग्रहमें है। ३. इस वंशके कोई लेख पहले संग्रहमें नहीं हैं। ४. पहले संग्रहमें नडोल के चाहमान वंशके दो (ऋ० ३५७-५८) तथा
जालोरके चाहमान वंशका एक (क्र. ५०७) लेख है।