Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 03 to 04
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

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Page 11
________________ आवश्यक सूचना. जैन साहित्य संशोधकनी आन्तरिक अने बाह्य व्यवस्थामां खास केटलाक सुधारा वधारा करवामां आवनार छे अने हवे पछी आ पत्र वधारे नियमित अने व्यवस्थित रूपे प्रकट थाय तेवी स्थायी योजना करवामां आवनार छे. तेथी ए बधी व्यवस्थानो सुप्रबन्ध थई रह्या पछी ज हवे त्रीजा खंडनो प्रारंभ करवामां आवशे अने तेनी विशेष सूचना जाहेर पत्रक द्वारा सर्वने विदित करवामां आवशे. माटे तीजा खंडना नवीन ग्राहक थवानी अगर चालू रहेवानी जे सज्जनोनी इच्छा होय तेमणे ए सूचना मळ्या पछी ज कार्या लय साथै पत्रव्यवहार करवा निवेदन छे. - जिन विजय । आ पछीना पानावाळु मजकूर सौथी प्रथम अने अवश्य वांचशो. Aho ! Shrutgyanam

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