Book Title: Jain Paribhashika Shabdakosha Author(s): Tulsi Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 6
________________ भूमिका कमल का सार कमलकोश में होता है और धन का संग्रह भी कोश में होता है। प्रकृति के इस नियम के आधार पर शब्द-शास्त्रियों और तत्त्ववेत्ताओं ने कोश-निर्माण की कल्पना की होगी। विशाल ग्रंथ का सार कोश में मिल जाता है। जैन साहित्य में कोशों की समृद्ध परंपरा रही है। जैन पारिभाषिक शब्दकोश से पहले जैन आगम और साहित्य पर अनेक कोश निर्मित हो चुके हैं अभिधान राजेन्द्र कोश' (सात भाग) अल्पपरिचित सैद्धान्तिक शब्दकोश(चार भाग) आगमसद्दकोसो कथाकोषप्रकरण जिनरत्नकोश जैन उद्धरण कोश (भाग १) जैन क्रिया कोश जैन लक्षणावली (तीन भाग) जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश (चार भाग) नानार्थोदयसागरकोश पाइअसद्दमहण्णवो भगवान महावीर हिन्दी अंग्रेजी जैन शब्दकोश१२ रत्नत्रय पारिभाषिक शब्दकोश सचित्र अर्धमागधी कोश An Encyclopaedia of Jainismu Encyclopaedia of Jainismo Dictionary of Prakrit Proper Names जैन योग पारिभाषिक शब्दकोश८ क्रिया कोश पुद्गल कोश२० वर्धमान कोश योग कोश लेश्या कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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