Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 02
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 848
________________ ७९४ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २ (षट्खण्डागम-रचनाकाल से उत्तर- कूर्मापुत्र ६२०, ६२४ वर्ती),५९९,६०० के० बी० पाठक (डॉ०) २९०, २९२ कुन्दकुन्द का मनगढंत जीवनवृत्त ३१८- के० आर० चन्द्र (डॉ०) ४८५ ३२४ केवलि-उपयोगद्वय कुन्दकुन्द की गुरुपरम्परा ३११ - क्रमवाद, क्रमपक्ष ५२४-५२८ कुन्दकुन्दान्वय १२, १४, ३५-३९, १८८, - क्रमवाद-पुरस्कर्ता : श्वे. भद्रबाहु १८९, २३९, २८३, २८४, २८५, द्वितीय (आवश्यकनियुक्ति) ५२४, २८८, ३०७, ४५५ ५२५, ५२६, ५२८, ५३५ कुन्दकुन्दान्वय की पट्टावली ४५ - युगपद्वाद, यौगपद्यवाद, युगपत्पक्ष कुन्दकुन्दाचार्याम्नाय ३३ ५२४-५२८, ५३५ कुन्दकुन्दश्रावकाचार (भट्टारकीय ग्रन्थ)१३७ - अभेदवाद, अभेदपक्ष, एकोपयोगवाद कुन्दकुन्दसन्तान ३९ ५२४-५२७, ५३५ कुन्दसेठ-कुन्दलतासेठानी (आचार्य कुन्द __ केवलिनी (श्वे०) ६१७ कुन्द के कल्पित माता-पिता) ३१८ । केशव वर्णी (गोम्मटसार की जीवतत्त्वकुन्दकुन्द का समय २९, १९५-५४० प्रदीपिका नामक कर्णाटवृत्ति के कुन्दकुन्दसाहित्य ४८२ कर्ता) ६९६ कुप्पुटूरू-अभिलेख ३८ कैलाशचन्द्र शास्त्री (पं०) १३३, ३०४, कुमारनन्दि सिद्धान्तदेव ४५८, ४५९ ५५३, ७४९, ७५७ कुमारपुर (ग्राम) २८५ कोन्नूर-शिलालेख ३८ कुलिंग ६०१, ६०२ कोल्हापुर (कोल्लापुर) ८३, ९६ कुलिंगी (तापसादि, पार्श्वस्थादि) ५९७, कोल्हापुर-शिलालेख १०५ ६०१, ६०२ कुशील (कुसील) मुनि-प्रसेनिकाकुशील, कौण्डिन्य-कोट्टवीर ४९७, ५६५ अप्रसेनिकाकुशील, निमित्तकुशील, क्या नियुक्तिकार भद्रबाहु और स्वामी आजीवकुशील, कक्वकुशील, समन्तभद्र एक है? (लेख-पं० प्रपातनकुशील, कौतुककुशील, दरबारीलाल जैन कोठिया) ५२१ भूतिकर्मकुशील, कुहनकुशील, ___ क्राणूर् (काणूर्) गण (दिगम्बरसंघ)३८, सम्मूर्च्छनाकुशील ५५-५७, ६०१ ३९, १११, ११२ कुष्माण्डिनीदेदवी ९५ क्षपणा ३७३ कुसुम पटोरिया (डॉ०, श्रीमती) ७५६ क्षपणासार (नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती) ११३ कूर्चक (एक जैन सम्प्रदाय) २९१ क्षेत्रपाल-पद्मावती १२४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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