Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 02
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 873
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची / ८१९ १९. आवश्यकनियुक्ति (भाग १) : भद्रबाहुस्वामी। भेरूलाल कनैयालाल कोठारी धार्मिक ट्रस्ट, मुम्बई। वि० सं० २०३८। - हारिभद्रीय वृत्ति : हरिभद्रसूरि। २०. आवश्यक - मूलभाष्य (आवश्यकसूत्र - मूलभाष्य) : कर्ता का नाम अज्ञात है। आवश्यकनियुक्ति की हारिभद्रीयवृत्ति में उद्धृत तथा जिन भद्रगणी के विशेषावश्यकभाष्य में अन्तर्भूत। २१. आवश्यकसूत्र (पूर्वभाग एवं उत्तरभाग) : गणधर गौतमस्वामी। श्री ऋषभदेव केशरी मल श्वेताम्बर संस्था, रतलाम। ई० सन् १९२८ एवं १९२९ । २२. इष्टोपदेश : पूज्यपाद स्वामी। परमश्रुत प्रभावक मण्डल, चौकसी चैम्बर, खारा कुआ, जवेरी बाजार, बम्बई-२। ई० सन् १९५४। २३. ईशादिदशोपनिषद् (शांकरभाष्यसहित) : मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली। ई० सन् १९७८। २४. ईशाद्यष्टोत्तरशतोपनिषद् : चैखम्बा विद्याभवन, वाराणसी। ई० सन् १९९५ । - परमहंसपरिव्राजकोपनिषद् । - बृहदारण्यकोपनिषद्। - जाबालोपनिषद्। - नारदपरिव्राजकोपनिषद्। - तुरीयातीतोपनिषद्। - संन्यासोपनिषद्। - भिक्षुकोपनिषद्। - छान्दोग्योपनिषद्। - मुण्डकोपनिषद्। - कठोपनिषद्। - ईशावास्योपनिषद्। - श्वेताश्वतरोपनिषद्। - याज्ञवल्क्योपनिषद् । २५. उत्तराध्ययनसूत्र : वीरायतन प्रकाशन, आगरा-२। - सम्पादन : साध्वी चन्दना दर्शनाचार्य। २६. उत्तरभारत में जैनधर्म : चिमनलाल जैचन्द्र शाह। प्रकाशक : सेवामन्दिर रावटी, जोधपुर। ई० सन् १९९०। - अँगरेजी से हिन्दी अनुवाद : कस्तूरमल बांठिया। २७. उदानपालि (सुत्तपिटक, खुद्दक निकाय) : विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी (नासिक)। ई० सन् १९९५ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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