Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 02
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 896
________________ ८४२ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २ वर्ष किरण ७ ५-६ ७-८ २ ८ ३ ८ ४-५ ८ १०-११ ८ १२ ७ ८ 2 ९ १ १४ ६ २८ १ ४६ २ भाग किरण ९ १ १० २ ११ १ १३ २ २३ २ मास पौष-माघ भाग किरण ६ ७-८ ७ ९ दिसम्बर-जनवरी फाल्गुन-चैत्र, फर० - मार्च २००१-२ फरवरी Jain Education International वीर नि० सं० वि० सं० ई० सन् मार्च-अप्रैल २४७३ आश्विन, अक्टूबर २४७३ ― 17 ( वर्ष ८ के मास - सम्बन्धी अनियमित उल्लेख के कारण का निर्देश इसी अंक ( अक्टूबर १९४७ ) के आवरण पृष्ठ २ पर किया गया है ।) वर्ष किरण वीर नि० सं० वि० सं० ई० सन् मास मास जून जुलाई जून माघ, जनवरी २४८३ महावीर निर्वाण विशेषांक २५०१ अप्रैल-जून २५१८ - मास वैशाख - ज्येष्ठ आषाढ़ "" 11 २४३७ २४३७ २००४ For Personal & Private Use Only 17 २. जिनभाषित (मासिक) मई २००३ - सम्पादक : प्रो० रतनचन्द्र जैन, भोपाल, म०प्र० । प्रकाशक - सर्वोदय जैन विद्यापीठ, १/२०५, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा (उ०प्र०)। ३. जैन सिद्धान्त भास्कर (भास्कर) मासिक - १९४४-४५ १९४५ १९४६ २०१३ २०३२ २०५० १९४७ १९४७ ४. जैनहितैषी (मासिक) – सम्पादक और प्रकाशक : श्री नाथूराम प्रेमी । वीर नि० सं० ई० सन् १९१० १९१० १९५७ १९७५ १९९३ ई० सन् १९४२ १९४३ १९४४ www.jainelibrary.org

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