Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 02
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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८१० / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २
वीरसङ्घ ४१
वीरसेन स्वामी ( धवलाकार) १८२ - १८८, २४०, ४७५, ६८६, ६९०
वृषभसंघ २७
वेद (लिङ्ग) ६२९, ६३०
वेदत्रय ६२९, ७२२
वेदपुरुष (वेदवैषम्ययुक्त पुरुष ) ६३७ वेदवैषम्य (श्वेताम्बरग्रंथों में ) ६३७ - ६४१,
७२२
वेदवैषम्य ६३२ - ६५०, ६६०, ६६१, ६६७, ३६९, ६९६, ६९८, ६९९, ७०२
वेदान्त ४७३
वेदान्तसार (सदानन्द) ३३५ वेदान्तिक दृष्टि ४७३, ४७५ वैशेषिकसूत्र ४४८ वैशेषिकसूत्रोपस्कार (शंकरमिश्र) ४४८ व्यवहारनय २०७, ४७०, ४७१, ४७५ व्याकरण महाभाष्य ( पस्पशाह्निक) ४४७ व्याख्याप्रज्ञप्ति (भगवतीसूत्र) २०८, २१०, २३७, ३६२, ३९९, ४४२, ७५९ श
शङ्कराचार्य ४७२
शतपदी (कर्त्ता - श्वे. मुनि श्री महेन्द्र सूरि )
६५, ६८, ६९
शब्दावतार (पूज्यपाद स्वामी) २६१ शाकटायन (पाल्यकीर्ति) (देखिये, 'पाल्यकीर्ति')
शाक्ति (शाक्तिकुमार, वारानगर का राजा) ३२७ शान्तिसागर जी (आचार्य) ६८६ शारदा (सरस्वती) ३३
शाश्वत-उच्छेद (वस्तुधर्म ) ३४१, ३४२
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शाश्वतवाद ३४२ शिथिलाचार ३०४, ३०५
शिवकुमार ( भाव श्रमण ) ४९५, ५२० शिवकुमारमहाराज (मुनि) १८९, २९१२९३, २९६ - २९८, ४५६ शिवगुप्तगणी ४९२
शिवभूति (बोटिक) ४८९, ५१० शिवभूति (श्वे० कल्पसूत्र - स्थविरावली) ४८९, ४९१, ५१०
शिवभूति (तुषमाष-घोषक दिगम्बर मुनि) _४८९, ४९३
शिवभूति और शिवार्य (लेख - प्रो० हीरालाल जैन) ४९०
शिवभूति, शिवार्य और शिवकुमार (लेख - पं० परमानन्द जैन शास्त्री) ५१७ शिवमृगेश वर्मा (कदम्बवंशीय राजा) २९१ शिवस्कन्द वर्मा (पल्लवराज ) २९४, २९६ शिवार्य ( भगवती - आराधनाकार) १८७, ४८९, ५११ शीतलमति आर्यिका ११५, ११६ शुद्धनय २०७, ४६९ शुद्धोपयोग ४७९, ४८०
शुद्धोपयोग के नामान्तर ४८० (शुद्धमनोयोग, मनोप्ति, विशुद्धात्मा, भावशुद्धि), ४८१ (शुद्धभाव, पारमार्थिक विशुद्धि, आत्मविशुद्धि), ४८२ ( शुद्धपरिणाम, परमसमाधि, शुद्धप्रयोग )
शुभ, अशुभ, शुद्ध उपयोग ३४८, ४८० शुभचन्द्र (प्रथम) कृत गुर्वावली ३३, ४२, २३९, ३२६
शून्य - अशून्य ( वस्तुधर्म ) ३४१, ३४२
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