Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 02
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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८१४ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २ सिद्धहेमशब्दानुशासन २३८
स्त्रीनिर्वाणप्रकरण (पाल्यकीर्ति शाकटायन) सिद्धान्तसमीक्षा भाग ३ : ६९६-६९७, ७०० ६३१, ६६१-६६६, ७०९, ७२५ सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्री अभिनन्दन स्त्रीमुक्तिनिषेध ५८१, ७५३-७५५ ग्रन्थ ६८६
स्त्रीवेद ६२९, ६३० सिद्धिविनिश्चय (अकलंकदेव) ५२३ स्त्रीवेदनोकषायकर्म ५८२, ५८३ सिन्धुघाटीय (सिन्धु) सभ्यता ३६८ स्त्रीवेदी मनुष्य ६५५ सुखलाल संघवी (पं०) १८६
स्त्रैणभाव ६६७, ६६८ सुत्तपाहुड २२१, २९०, ५०५, ६०० स्थविर (संघव्यवस्थापक दिगम्बर साधु) सुबुद्धि (पुष्पदन्त, षट्खण्डागमकार) ५७२ ११९, ६२५, ६२६ सुभद्र आचार्य (दशांगधारी) २७ स्थविरकल्पिक (कल्पी) साधु (श्वे०) सूत्रकृतांग (सूत्र) नियुक्ति ५३१, ५८५
६२५, ६२६ सूत्रकृतांगसूत्र ५९०
स्थानांगसूत्र २३५, २७९, ६१० सूरिमन्त्र ३१, ३२
स्यात् (निपात) ४५१ सूर्यप्रकाश (पं० नेमिचन्द्रकृत भट्टारकीय स्याद्वाद ४४४
ग्रन्थ) १२५, १३७, १४५, १४७ स्याद्वाद-सप्तभंगी ४८२. सूर्यप्रकाशपरीक्षा (पं० जुगलकिशोर मुख्तार) स्वयम्भूस्तोत्र (समन्तभद्र) ३४०,५२८,५२९, १२५, १२७, १३२, १३७
५३१-५३३ सेक्स एण्ड जेण्डर (डॉ० राबर्ट जे० स्टॉलर, स्वसमय ४७७, ४७८, ४७९ एम० डी०) ६३३
स्वस्ति (भट्टारकोपाधि) १०६ सेनसंघ (सेनगण) ३४, ४२, १८३-१८५ स्वाति : (श्वे० आचार्य) ७२० सेसिल बेण्डल (Mr. Cecil Bendall, a स्वामी (समन्तभद्र की उपाधि) ५२२, scholar from England) १२
५२३ सोमदेव सूरि (यशस्तिलकचम्पूकार) ५९८ स्वामी समन्तभद्र (ले०-जुगलकिशोर सोमवार-अभिलेख ३५
मुख्तार) ३५, १९६, १९७, २६१, सोलहकल्प ६२६
२९५, ४५७, ५४० सौन्दरनन्द (अश्वघोष) ५९० स्त्रीतीर्थंकर ६०५
हट्टण-अभिलेख ३८ स्त्रीनामगोत्रकर्म, स्त्रीगोत्रकर्म, स्त्रीवेदनाम- . हरिदास शास्त्री, जयपुर २८
कर्म, स्त्र्यंगोपांगनामकर्म, स्त्रीशरीरां- हरिवंशपुराण १८६, ३१३, ३१५, ३३२, गोपांगनामकर्म ५८२, ६०६, ६३५, ५४९ ६३६, ६६९
हर्षचरित (बाणभट्ट) ५२
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