Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 02
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 856
________________ ८०२ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २ ३५५, ३५८, ३६५, ३६६, ४४२, पद्मनन्दी (जंबुदीवपण्णत्तीकार) ३२७ ४५५, ४५७, ४७७ पद्मनाभ एस० जैनी ६३१ . - समयव्याख्या (आचार्य अमृतचन्द्र) । पद्मप्रभमलधारिदेव २९९ ३४२ पद्मावतीदेवी १२४ - तात्पर्यवृत्तिं (आचार्य जयसेन)२९६, पन्नालाल सोनी (पं०, न्यायसिद्धान्तशास्त्री) २९७, ३४२, ४५८ ६४७, ६५०, ६७६, ६७७, ६९४ - प्रस्तावना (अंग्रेजी-ए० चक्रवर्ती) परतीर्थ ५९८ १९५, २९४, २९५ परतीर्थिक, अन्यतीर्थिक, परशासन, अन्यपट्ट ३० लिंगी-मुक्तिनिषेध ५८९ पट्टकाल ४६ परमभट्टारक ५२, ५३ पट्टधर ४६, ४७ परमात्मप्रकाश ६०, २६०-२६३, '२६८पट्टाधीश ५ २७०, २७२, २७३, २९३, ४५७, पट्टारोहणकाल ४६, ४७ ४७१, ४७४, ४७६, ४८१-४८४ पट्टावली समुच्चय (मुनि दर्शनविजय जी) - प्रस्तावना (डॉ० ए० एन० उपाध्ये) ४९३, ४९९, ५०० २६३ पट्टावलीसारोद्धार : खण्ड २ ) ५०१ परमानन्द (पं०, शास्त्री) ४९० . पण्डितदेव (भट्टारक-उपाधि) १०५ परमार्थनय २०७, ४७० पं० वंशीधर व्याकरणाचार्य अभिनन्दनग्रन्थ परम्पराशिष्य १८३ ६११, ६४८, ६७८, ६८९ परसमय ४७७, ४७८, ४७९ पण्डिताचार्य (भट्टारक-उपाधि) १०५ परस्परविरुद्ध धर्म ४४७ पण्णवणासुत्त (देखिये, 'प्रज्ञापनासूत्र') । परिकर्म (षट्खण्डागम-टीका) १९०, ३११, पण्णसवण, पण्णसमण (प्रज्ञाश्रमण) ऋषि ४६५, ५५१-५५४ ५४७, ५५०, ५६९, ५७० परिहारसंयम, परिहारसंयत ९६७, ९६८ पतञ्जलि महर्षि (व्याकरणमहाभाष्यकार) परीतसंसारी (भावश्रमण शिवकुमार) ५२० ४४७ पवाइज्जमाण (प्रवाह्यमान) ७३९, ७४०, पतञ्जलि महर्षि (योगदर्शनकार) १८१ ७७९, ७८०, ७८१ पदेसग्ग (प्रदेशपुञ्ज) ७६५ ।। पसण्णमन (प्रसन्नमन) ५६९, ५७० पद्मनन्दी (बलात्कारगणाग्रणी भट्टारक) ३३ पाक्षिकसूत्र (श्वे० ग्रन्थ) ४३५ पद्मनन्दी भट्टारक (पदवी) ३२ पाणिनि १८१ पद्मनन्दी (कुन्दकुन्दाचार्य) ३५, ३६, १८६, पाण्डवपुराण १७४ पातञ्जल महाभाष्य ६४८ ३११, ३१२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900