Book Title: Jain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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340...जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन 33. (क) गणिविद्या प्रकीर्णक, गा. 4-7, 12-14
(ख) आचारदिनकर, पृ. 130-131 34. बृहत्कल्पभाष्य, 1545, 1546 35. व्यवहारभाष्य, 1025-1026 36. व्यवहारभाष्य, 1740-1741 37. बृहत्कल्पभाष्य, 2901-2904, 3097 38. ओघनियुक्ति, गा. 68 39. मूलाचार, 10/1015-1017 40. वही, 5/304-305 41. बृहत्कल्पभाष्य, 694-698 42. वही, 699-701 43. गुरुपरिवादो सुदवुच्छेदो, तित्थस्स मइलणा।
भिंमलकुसील पासत्थदा, य उस्सार कप्पम्मि । कंटय खण्णुय पडिणिय, साणगोणादिसप्पमेच्छेहिं । पावइ आदविवत्ती, विसेण व विसूइया चेव ।
मूलाचार, 4/151-152 की टीका 44. आणा अणत्थाविय, मिच्छत्ताराहणादणासो य। . संजय विराहणाविय, एदे दुणिकाइया ठाणा ।
वही, 4/154 45. ओघनियुक्ति, गा. 119-120 46. बृहत्कल्पसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 1/48 47. बृहत्कल्पभाष्य, 3266-3270, भा. 2, पृ. 93 48. (क) प्रज्ञापनासूत्र, 1/102
(ख) बृहत्कल्पभाष्य, 3263 की वृत्ति
(ग) प्रवचनसारोद्धार वृत्ति, पत्र 446 49. (क) आचारदिनकर, पृ. 130
(ख) प्रवचनसारोद्धार वृत्ति, पत्र 445 50. बृहत्कल्पसूत्र, मधुकर मुनि, 1/37 51. वही, पृ. 144

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