Book Title: Jain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 472
________________ सज्जन चिंतन के बिखरे मोती * श्रमण के विभिन्न अर्थ एवं उनका जीवन दर्शन? मुनि जीवन में पालने योग्य सामान्य नियम? * आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अवग्रह विधि कितनी मौलिक? •साधु-साध्वी उपकरण आदि का परस्पर में आदान-प्रदान कर सकते हैं या नहीं? उपधि का स्वरूप, प्रयोजन एवं उसकी अवश्यकता? * प्रतिलेखन एवं प्रमार्जन संबंधी विधि नियमों के मार्मिक रहस्य? * मुनि के लिए बहुमूल्य वस्त्र-पात्र आदि निषिद्ध क्यों? बढ़ती एकल पारिवारिक संस्कृति में वसति मर्यादा का पालन कितना औचित्यपूर्ण? * Traffic ait Accident on बढ़ती संख्या में विहार चर्या कितनी सुरक्षा पूर्ण? वर्षावास का शास्त्रीय मूल्यांकन? आधुनिक जीवनशैली में स्थंडिल विधि का अनुपालन व्यवहार विरूद्ध है या नहीं? SAJJANMANI GRANTHMALA Website : www.jainsajjanmani.com, E-mail : vidhiprabha@gmail.com ISBN 978-81-910801-6-2 (V)

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