Book Title: Jain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 440
________________ 378...जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन सम्बन्धित 17 द्वार बतलाए हैं जो निम्नोक्त हैं 1. प्रतिलेखना 2. दिशा 3. अनन्तक 4. काल 5. कुशप्रतिमा 6. पानक 7. निवर्तन 8. तृण 9. शीर्ष निर्गता 10. उपकरण 11. उत्थान 12. नामग्रहण 13. प्रदक्षिणा 14. कायोत्सर्ग 15. क्षमण 16. अस्वाध्याय और 17. अवलोकन। 1. भूमि प्रतिलेखना द्वार- आवश्यकनियुक्ति एवं बृहत्कल्पभाष्य के मतानुसार गच्छवासी साधु जहाँ मासकल्प अथवा वर्षावास करना चाहें, वहाँ गीतार्थ मुनि पहले से ही वहन योग्य काष्ठ एवं मृतदेह के परिष्ठापन योग्य दूर, मध्य और समीप ऐसे तीन भूमियों का प्रतिलेखन कर लें। ये भूमियाँ गाँव या नगर के दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्यकोण) में होनी चाहिए। प्रयोजन- तीन भूमियों के प्रतिलेखन का प्रयोजन यह है कि एक के अव्यवहार्य होने पर दूसरा स्थंडिल काम में आ सके। जैसे समीपवर्ती स्थंडिल को किसी ने अनाज आदि बोने के उपयोग में ले लिया हो, उसमें पानी आदि भर गया हो अथवा हरियाली पैदा हो गई हो तो मध्यवर्ती स्थंडिल भूमि का उपयोग कर सकते हैं। यदि दूसरी स्थंडिल भूमि भी जीवाकुल हो गई हो अथवा वहाँ पर नया गांव बसा दिया गया हो अथवा किसी सार्थवाह ने पड़ाव डाल दिया हो, तो दूरवर्ती तीसरी स्थंडिल भूमि का प्रयोग कर सकते हैं। 2. दिशा द्वार- टीकाकारों के निर्देशानुसार शव परिष्ठापन हेतु सबसे पहले दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण) में स्थंडिल भूमि की प्रेक्षा करें। मृतदेह के विसर्जन के लिए यह सर्वश्रेष्ठ दिशा है। इसके अभाव में क्रमश: दक्षिण दिशा, पश्चिम दिशा, दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण), पश्चिम-उत्तर (वायव्य कोण), पूर्व दिशा, उत्तर दिशा और उसके अभाव में पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में स्थंडिल भूमि का निरीक्षण करें। यहाँ एक-एक के अभाव में क्रमश: जिन दिशाओं के अवलोकन का निर्देश दिया गया है, उसके पीछे गच्छ, समुदाय एवं संघ की लाभ-हानि का दृष्टिकोण अन्तर्निहित है। सामान्यतया इन आठ दिशा-विदिशाओं में मृत श्रमण के देह परिष्ठापन से निम्न हानि-लाभ होते हैं-7 1. नैऋत्य कोण में शव का परिष्ठापन करने से प्रचुर मात्रा में भोजन, पानी एवं उपकरणों की प्राप्ति होती है। इससे समूचे संघ में समाधि रहती है। 2. दक्षिण दिशा में प्रतिस्थापन करने से अन्न-पानी का अभाव हो जाता है

Loading...

Page Navigation
1 ... 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472