Book Title: Jain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 428
________________ 366...जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन स्थंडिल भूमि से लौटने के बाद की विधि मलोत्सर्ग क्रिया पूर्ण करने के पश्चात मुनि पुन: वसति की ओर लौटें। स्थंडिल भूमि से लौटते हुए एवं गाँव में प्रवेश करते समय ऋतुबद्ध (शेष आठ मास का) काल हो तो रजोहरण द्वारा और वर्षाकाल हो तो पाद लेखनिका (कीचड़ दूर करने की काष्ठ पट्टी) द्वारा पाँवों का प्रमार्जन करें, क्योंकि स्थंडिल में से (सचित्त भूमि में से) अस्थंडिल भूमि (अचित्त भूमि) में प्रवेश करते समय सचित्त-अचित्त मिट्टी का मिश्रण होने से जीववध आदि की संभावना रहती है। अत: जीव विराधना से बचने के लिए पाँवों का प्रमार्जन करें। फिर उपाश्रय के द्वार पर आकर तीन बार 'निसीहि' कहते हुए प्रवेश करें। फिर गमनागमन आदि में लगे हुए दोषों की आलोचना करने के लिए ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। उसके बाद दिन की तीसरी पौरुषी पूर्ण न हुई हो तो पूर्ण होने तक स्वाध्याय करें। यदि चौथा प्रहर प्रारम्भ हो गया हो तो प्रतिलेखना करें।39 चौबीस मांडला की विधि यदि किसी मुनि को मलोत्सर्ग हेतु रात्रि में बाहर जाना पड़े तो उसे दिन में ही चौबीस स्थानों की प्रतिलेखना कर लेनी चाहिए। यह दैहिक क्रिया है। इसकी शंका कभी भी हो सकती है, अत: प्रत्येक मुनि को सूर्य की रोशनी में ही चौबीस स्थानों का निरीक्षण करके रखना चाहिए। ये चौबीस स्थान समर्थअसमर्थ एवं सह्य-असह्य की स्थिति में दूर-मध्य-निकट की अपेक्षा से है। यदि कोई मुनि मल-मूत्र सहन करने में समर्थ हो तो दूर भूमि तक जाये और सहन करने में असमर्थ हो तो मध्य या निकट प्रदेश में मलोत्सर्ग करें। वर्तमान में चौबीस स्थानों की प्रतिलेखना शास्त्रीय विधियुत नहीं की जाती हैं। इस क्रिया के प्रतीकात्मक रूप में अन्य विधि की जाती है वह इस प्रकार है-40 सर्वप्रथम स्थापनाचार्य के सम्मुख खड़े होकर ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। फिर एक खमासमण देकर 'इच्छा. संदि. भगवन्! थंडिला पडिलेहुँ' 'इच्छं' कहकर खड़े रहें। फिर जघन्य से भी उपाश्रय से सौ हाथ तक की भूमि में दूरमध्य-निकट ऐसे चौबीस स्थानों की प्रतिलेखना दण्डासन द्वारा करें। इनमें छह प्रतिलेखना शय्या के दोनों ओर करें, छह प्रतिलेखना उपाश्रय द्वार के मध्य भाग में करें, छह प्रतिलेखना उपाश्रय द्वार के बाह्य भाग में करें और छह प्रतिलेखना

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