Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 05
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 349
________________ दृष्टांतशतक. ण ते गुरु पासे आव्या अने तेमज पूर्वती रीतें गुरुने पूजवा लाग्या तेवा रें गुरुये पण तेमज पूर्वनी पेठें तेमने कह्यु. ते सांजली शिष्ये जाण्युं जे रखेंने पूर्वली रात्रिनी पेठे आ रात्रिये पण गुरु आपणने घडा वहेवरावे एम जाणी गुरुने कहेवा लाग्या; के हे गुरु ! जे कहेशे ते वहेशे, अमा रे कांश नहि. कयुं ले के, (श्लोक) कार्यार्थि नोहि बहवो,गुरूं टहंति स्वा र्थगाः ॥ ज्ञानहीनैर्न दातव्य, मुत्तरं कोविदैर्यथा ॥१॥दोहा॥ एकवार कहणे वह्या, हवे ते न वहसी ॥ गुरुप्रतें शिष्यज बोलीया,जे कहती ते वहसी॥ हवे जे संपत्तिवान् बतां कोश्ने नपकार करतो नथी.तेनुं इव्य गयुं जाणवू. ते विषे नोजराजा बने माघ कवीनो, सत्तावीसमो दृष्टांत कहे . ॥ जोजो वक्ति कृती मृदंगकरवस्यार्थ वदाष्टाह्नि सः, ज्ञातं नान्यजनः क रिष्यसि यदीनारोहणं वच्मि तम्॥कत्वेशांतगताः किमस्त्ययमतोऽर्थ वक्ष्यति वावदत्त्वं गृह्या उपदेशमीश तव नो नो दीयते तद् गतम्॥२॥ अर्थः-एक दिवस नोजराजानी पासें नृत्य थतुं हतुं. ते वखते मृदंगनो शब्द सांजली राजा माघ पंमितने कहे जे, के मृदंग बोले ने तेनो झुं अर्थ ? ते कहो. त्यारे पंमिते कडं जे महाराज आठ दिवसमां दुं एनो उत्तर कहीश. पनी पंमितें शास्त्र जोयां. पण तेमांथी ते अर्थ जाण्यो नहीं. तेवारें दिलगीर थ यो, एवामां एक ब्राह्मण माघ पंमितने घेर याव्यो. तेणे पंमितने दिलगी र थयेलो देखीने पूब्युं के चिंतातुर केम देखाउ बो. तेने माघे कह्यु के महा राज मृदंगना शब्दनो अर्थ गुं? त्यारे ते पंमितने कहे के जो मुझने हाथी ऊपर बेसारी राजा पासें लइ जाउ, तो हूं एनो अर्थ राजाने कहूं. पड़ी ते पंमितने हाथी ऊपर बेसारीने राजापासें ले गयो. तेने हाथीयें बेठो देखी ने राजायें पूजयु, के श्रा गुंठे? त्यारें माघ पंमिते कमु जे था पुरुष तमने मृदंगना शब्दनो अर्थ कहेशे. राजायें ते कबुल कयु. पडी पंमितें कह्यु के,हे राजन् ! आ मृदंग शब्द धम धम एवे शब्दें करी तमने उपदेश आपे . के जे को राज्यसमृद्धि पामी कोइने न थापे, तो तेनी समृद्धि गइ एम स मजबु. जु ढुं पण फाटल उपानहनुं दान देवाथ। गजारूढ थयो बुं. ते वि षे श्लोकः- उपानही मया दत्ते, जीर्णे कर्णविवर्जिते॥ तत्पुण्येन गजारूढ, स्ततं यन्न दीयते ॥१॥ ए सत्तावीसमो दृष्टांत ॥ २० ॥

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