Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 05
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 376
________________ जैनकथा रत्नकोष नाग पांचमो. ३६४ दुर्गादिक गुणो सर्वे पडता मूक्या. बीजा सर्व लोकोयें कयुं के, था दुर्गंध वासे बे. या गुणग्रहीपणुं श्रीरुम्मनुं जोइ देवता पोतानुं मूल रू प धारण करी, प्रगट थइ, श्रीकृमने पगे लागी, प्रशंसा करी वरदान था पीने, पोताने स्थानकें गयो, माटे उत्तम पुरुष सहु कोइनो गुण जेवो, पण कोइनो अवगुण न जेवो. कयुं बे के ॥ श्लोक ॥ संसारे सुखिनो जीवा, न ति गुणग्राहकाः ॥ उत्तमास्ते च विज्ञेया, दंतपश्यरुष्णवत् ॥ १ ॥ मलत्वे रसझाया, मिश्रयोः कीरनीरयोः ॥ विविच्य पिबति कीरं, नीरं हंसोपि मुंचति ॥ २ ॥ श्रसंख्याः परदोषज्ञाः गुणज्ञाश्वापि केचन ॥ स्वयमेव स्वदोष ज्ञा, विद्यते यदि पंचपाः ॥ ३ ॥ खीरमिव जहाहंसाः, जे घुति गुरुगुण समिक्षा || दोसेवि वतयंतो, तं जाए सुजालयं पुरिसं ॥ ४ ॥ ६७ ॥ वे समकेतन उपर सडसम्म दृष्टांत कहे बे. ॥ सम्यक्त्वं यदि वर्णितं च हरिणा श्री श्रेणिकस्यामरो, नूत्वा साधुनिन स्तदा जलचरान् गृह्णाति श्रागत्य सः ॥ दृष्ट्वा वक्ति किमाकरोषि हि मुने वं सहयाहेतवे, पुर्नव्यस्त्वमसीति नो जिनमते कृत्वा स्वरूपं स्तुतः ॥ ६८ ॥ अर्थ:- एक दिवस इंनी सनामांहे समकेतनी बात चाली त्यारें श में श्रेणिक राजानं समकेत वखाएयुं ने कयुं के, ए राजा दृढ समके तनो धणी बे. ते सांगली एक मिथ्यादृष्टी देवतायें राजानी परीक्षा कर वा माटे, साधुसरिखं रूप करी उधो, मुहपत्ति, दांगो, कांबली लइ हाथ मां कोली घालीनें एक तलावां पेतो. त्यां जइ माबलांवनें ग्रहण करवा मंड्यो, तेने राजायें कह्युं के, हे साधु ! या विपरीत कर्म केम करो बो ? मु निवेषने विटंबना शुं करो हो ? त्यारें कपटी साधु बोल्यो के, हेराजा ! तुं सा धु धर्ममां समजे नहीं हुं या मालां काढी तेने वेचीने कांबली लइश. ते श्री वर्षाकालें जीवदया पलशे. जे माटे पाणीना एक बिमां श्रसंख्याता जीव जगवंते कह्या बे, ते नगरशे. या वात सांजली राजा बोल्यो के, तु दुर्नव्य अनंत संसारी देखाय बे. जे माटे साधुना वेषमांहे या कर्म करे बे ? जैन शाशनमांहे ए वात कही नथी. जैन शास्त्रथी उलटुं बे, ए म राजायें तेने कयुं. पण बीजा साधु उपर द्वेष न कस्यो तेवारें ते देवता यें ज्ञानेंकरी जाएयुं. जे खातुं महारुं विपरीत याचरण देखतां पण रा जाने बीजा साधुनी उपर अनाव न थयो. तेवारें देवता पोतानुं रूप प्र

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