Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 05
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 366
________________ ३५४ जैनकथा रत्नकोष नाग पांचमो. हवे स्त्रीवशपज्यो गुं झुं न करे ? ते ऊपर त्रेपनमो दृष्टांत कहे जे. ॥प्राज्ञेशप्रमदे मिथोऽपि वदतोवश्योस्ति मे वननो, नान्यं दर्शयति ब लेन च पति शंसा निये चेत्कथं ॥ जीवेऽश्वीयपिरोहणं यदि तथेशोक्तं च कुर्या कृतं, तदृष्ट्वा परया पतेःसमकचा मुंमापितास्तेतदा ॥५४॥ अर्थः-नोजरा जानी स्त्री अने कालिदास पंमितनी स्त्री ए बेहुनें मांहो मांहे बेनपणुं . एक दिवस ते बेदु जणी परस्पर कहेवा लागी के मारो धणी मारे वश बे, त्यारे पंमितनी स्त्रीयें कह्यु के तारो पति केवी रीतेतहारे वश ? ते मु जने देखाड. राणीयें कह्यु जे जेम तुं कहे तेम देखाडं तेवारें पंमितनी स्त्री बोली जे ताहरो स्वामी अश्व थाय ने तुं तेनी ऊपर चडे तो तुजने धपी वश करवामां कुशल मानु, तेवारें राणी मिश करी नांगा त्रुटा खाटला उ पर पड़ी अने कहेती हवी के कालजें अवेटाय डे मरूं बुं. एवामां राजा तेनी पासे आव्यो अने पूब्युं के हे राणी! आम केम सूती बो ? तेवारेंरा एगी कहे के वात कहेवा जेवी नथी, पण राजायें हठलीधो जे तेवात म ने कहे त्यारें राणीयें कडं जे तमो घोडानी पेठे वांसानपर पलाण बांधो तेनी ऊपर दुं स्वार थानं अने तमने सात चाबुक मारुतो हुँ साजी थावं, राजायें ते सर्व कीg राणी स्वार थइ पुंठ ऊपर सात चाबका मास्या ते सर्व चरित्र पंमितनी स्त्रीयें दीहुँ, पबी राणीयें कह्यु के ताहराधणीनी मुख दाढी अने मायूं मुंमावीने सजामां मोकल तो तुजने खरीमानुं त्यारे ते स्त्रीये पण पंमितने तेमज करी सनामां राजा पासें मोकल्यो ते राणीयें दीठो पड़ी राजायें पुब्युं जे कये तीरथे मुंमन कराव्युं ? त्यारे कालीदास पंमितें तेनो उत्तर प्राप्यो ते श्लोक ॥ कालिदास कविश्रेष्ठ, कुत्र पर्वणि मुंमनं ॥ अनश्वा यत्र नेष्यंति,तत्र पर्वणि मुंमनम् ॥ १ ॥ किं करोति नरःप्राझो, स्त्रीवाचाप्रे रितो नरः ॥ अश्वरूपी नवेाजा, मंत्री मस्तकमुंमितः ॥ ॥ जेनुं वचन गयुं ते मुथा सरखो जाणवो ते ऊपर चोपनमो दृष्टांत. ॥ दृष्ट्वाकाकमसिं हि मार्गति नृपो बाणं बलेनानितं, पुखित्वा सुबलेन मुंचति यदा काकस्य लग्नं दृढं ॥ प्राप्तोऽधो बलिनुक् तदाह नृपतिं नाहं मृत स्त्वं मृतो, वाक्यं ते नरनूषणं गतमतो धिग जीवितं तस्य तु ॥ ५५ ॥ अर्थः-कोई एक राजा वृक्नीचे बेगे हतो, तेवामां एक कागडो वृद ऊपर बेसीने बोलवा लाग्यो त्यारें राजायें पोताना चाकरने का के खड्ग

Loading...

Page Navigation
1 ... 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401